धरती पर दूसरा स्थान जहां बनता है बर्फ का शिवलिंग, अमरनाथ से भी बड़ा होता बाबा का स्वरूप
बाबा भोलनाथ के भक्त इस शिवलिंग को अमरनाथ जितना ही शक्तिशाली मानते हैं और यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दर्शन को आते है.
मनाली (संदीप सिंह): पहाड़ों में बाबा भोलेनाथ के दर्शन केवल जम्मू कश्मीर के अमरनाथ और उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में ही नहीं होते हैं. अब हिमाचल प्रदेश की पहाड़ों में भी बाबा भोलेनाथ प्रकट हुए है. जी हां यहां अमरनाथ की भांति भोलेनाथ बाबा बर्फानी के रूप में प्रकट हुए है. हिमाचल में मनाली कुछ ही दूरी पर पहाड़ियों के बीच बर्फ का इतना विशालकाय शिवलिंग बनता है जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. पौरणिक मान्यताओं के अनुसार जिस जगह यह शिवलिंग बनता है वह भूमि भगवान हनुमान की माता अंजनी की तपोस्थली मानी जाती है और इसीलिए इस विशालकाय शिवलिंग को अंजनी महादेव कहा जाता है.
यहां बाबा भोलेनाथ का शिवलिंग स्वरूप करीब 30-40 फुट का होता है. ऐसी मान्यता है कि धरती पर भगवान का बर्फ से बनने वाला यह दूसरी शिवलिंग है. मनाली से सोलंग वैली पहुंचने के बाद करीब दो किलोमीटर की अंजनी महादेव की यात्रा शुरू हो जाती है. यह पूरी यात्रा पहाड़ों पर पैदल चलकर या घोड़ों के जरिए ही तय की जाती है.
शिवलिंग के साथ ही पहाड़ के नीचे बाबा की कुटिया है जिसमें पिछले कुछ सालों से बाबा प्रकाश पुरी बारह माह सर्दी व गर्मी में यहां रहते थे कुछ वर्ष पहले उनकी मृत्यु के बाद बाबा के शिष्य अब इस कुटिया में रहकर बाबा भोलनाथ की पूजा करते है.
गौरतलब है कि अमरनाथ के शिवलिंग की उंचाई लगभग 22 फीट होती है लोग कई दिनों की कठिन यात्रा कर बाबा के दर्शन करते हैं लेकिन इस अंजनी महादेव में बनने वाले शिवलिंग के दर्शन के लिए आप मनाली के सोलंग वैली में पहुंच कर कुछ की घंटों में कर सकते है.
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बताया जाता है कि माता अंजनी इस स्थान पर बनते शिवलिंग की पूजा व तपस्या करती थी तथा इस गुप्त स्थान के बारे में किसी को भी पता नहीं था लेकिन बाबा के लोगों को बताने के बाद से ही अबतक दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में बाबा के इस विशाल रूप को देखने आते है.
बाबा भोलनाथ के भक्त इस शिवलिंग को अमरनाथ जितना ही शक्तिशाली मानते हैं और यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दर्शन को आते है. यहां बाबा के बर्फ रूपी स्वरूप के दर्शन के चलते हर वर्ष दिसंबर, जनवरी, फरवरी व मार्च तक श्रद्धालु 2 कि.मी. की यात्रा कर यहां पहुंचते हैं. खुले आसमान में दिसंबर माह में ही इस स्थान में यह शिवलिंग रूप लेना शुरू कर देता है तथा जनवरी माह तक पूर्ण रूप लेकर यह शिवलिंग की उंचाई लगभग 35 से 40 फीट हो जाती है.