नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक 2013 के संबंध में उच्च सदन के रिकॉर्ड में तथ्यात्मक भूल को ठीक किये जाने की सदन को जानकारी दी. 4 अप्रैल को सदन में कहा गया था कि यह विधेयक लोकसभा से पारित है जबकि इसे अभी निचले सदन की मंजूरी नहीं मिली है. नायडू ने गुरुवार (5 अप्रैल) को राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय द्वारा इस बारे में उठाये गये व्यवस्था के प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी. 


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राय ने राज्यसभा में 4 अप्रैल को उपसभापति पी जे कुरियन के वक्तव्य का हवाला देते हुये कहा कि कार्मिक राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह को कुरियन ने यह विधेयक लोकसभा से पारित होने के आधार पर राज्यसभा में भी मंजूरी के लिए पेश करने की अनुमति दी.  सिंह ने भी विधेयक को लोकसभा से पारित किये जाने का हवाला देते हुये अनुरोध किया कि उच्च सदन में इसे पारित किया जाए. राय ने कहा कि रिकॉर्ड के मुताबिक अभी यह विधेयक लोकसभा से पारित नहीं हुआ है. 


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राय ने कहा कि राज्यसभा में यह विधेयक 19 अगस्त 2013 को पेश किया गया था. उस समय उच्च सदन से इस विधेयक को छानबीन संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया.  एक साल बाद स्थायी समिति की रिपोर्ट मिलने पर इसे राज्यसभा की प्रवर समिति के सुपुर्द कर दिया गया. प्रवर समिति ने 11 अगस्त 2016 को इस पर रिपोर्ट पेश की.


इसके बाद सरकार ने चार अप्रैल 2018 को यानी 4 अप्रैल को इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया. राय ने कहा कि यह विधेयक लोकसभा से पारित नहीं हुआ है इसलिये आसन द्वारा 4 अप्रैल को कही गयी बात को वापस लिया जाना चाहिये.इस पर नायडू ने इसे तथ्यात्मक भूल बताते हुये कहा कि रिकॉर्ड में इसे दुरुस्त कर दिया गया है. 


विपक्ष ने इसे सदन को गुमराह करने का मामला बताते हुये हंगामा शुरू कर दिया.  हालांकि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग जैसे मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्य सदन में पहले से ही हंगामा कर रहे थे. उल्लेखनीय है कि 4 अप्रैल को राय ने इस भ्रष्टाचार निवारण संशोधन विधेयक 2013 को ध्वनिमत से पारित कराने का विरोध करते हुये इस पर मतविभाजन की मांग की थी.  


इनपुट भाषा से भी