Pangong Tso में Anti Ramming Boat से चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देगी Indian Army
चीनी सैनिक पेंगोंग झील (Pangong Tso) में भारतीय सैनिकों (Indian Army) के गश्ती दलों को रोकने और भारतीय सीमा में घुसने की ताक में रहते हैं. इसके लिए वो ज्यादा बड़ी नावों में आते हैं और भारतीय सैनिकों की नावों को टक्कर मारकर तोड़ने और डुबोने की कोशिश करते हैं. चीन (China) की इस तरह की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए पेंगांग झील में तैनात सैनिकों के लिए नई नावें (Anti Ramming Boat) तैयार की जा रही हैं.
नई दिल्ली: पेंगोंग झील (Pangong Tso) में चीनी सैनिकों (Chinese Troops) को हरकतों का जवाब देने के लिए भारतीय सैनिकों (Indian Army) के पास अब नई नावें (Anti Ramming Boat) होंगी. इन नावों को न केवल ज्यादा बड़ा और तेज रफ्तार बनाया जा रहा है बल्कि इन्हें खास तौर पर इस तरह तैयार किया जा रहा है कि ये चीनी नावों की धक्का-मुक्की का मुकाबला कर सकें. इसके लिए इन्हें खास स्टील की प्लेट्स से मजबूत बनाया जा रहा है. इनमें अब ज्यादा सैनिक बैठ पाएंगे और बेहतर निगरानी-संचार के उपकरण होंगे.
और क्या होगा खास
चीन (China) की इस तरह की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए पेंगोंग झील (Pangong Tso) में तैनात सैनिकों के लिए नई नावें (Anti Ramming Boat) तैयार की जा रही हैं. इन नावों का आकार बड़ा होगा और इसमें बैठे भारतीय सैनिक (Indian Army) ज्यादा सुरक्षित रहकर फायर कर पाएंगे. भारत के ही एक शिपयार्ड में बन रही इन नावों की रफ्तार बढ़ाई गई है. उनमें नजर रखने और कम्युनिकेशन के लिए आधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं. नाव के सामने हल्की मशीनगन लगाने के लिए सुरक्षित जगह है. अंदर से फायर करने के लिए लूप होल्स बनाए गए हैं. इनका ढांचा ज्यादा मजबूत बनाया जा रहा है. सबसे खास बात ये है कि इसके अगले और बगल के हिस्सों में स्टील की प्लेट्स लगाई गई हैं. इन प्लेट्स से इन नावों को इतनी सुरक्षा मिलेगी कि चीनी नावों की टक्कर से ये न तो टूटेंगी और न ही इन्हें डुबाया जा सकेगा.
Finger Area में चीनी-भारतीय सैनिक सात महीने से आमने-सामने
नई नावों में एक प्लाटून यानि 30-35 तक सैनिक बैठ पाएंगे यानि उतने ही सैनिक जितने एक चीनी नाव में बैठकर आते हैं. इससे पहले पेंगोंग झील में भारतीय सैनिकों को गश्त लगाने के लिए गोवा शिपयार्ड में बनी नावें मुहैया कराई गई थीं. इनमें एक सेक्शन यानि 10-12 सैनिकों के बैठने की व्यवस्था थी. इनकी रफ्तार 30 नॉटिकल माइल्स तक थी. पेंगोंग झील के किनारे फिंगर एरिया में चीनी और भारतीय सैनिक पिछले सात महीने से आमने-सामने हैं. झील के पास चीनी और भारतीय सैनिकों की एक झड़प से शुरू हुआ विवाद दो महाशक्तियों के बीच पिछले पांच दशक के सबसे बड़े सैनिक तनाव की शक्ल ले चुका है. इस तनाव में अब तक 20 भारतीय सैनिकों को वीरगति मिल चुकी है और इससे दुगनी तादाद में चीनी सैनिक मारे जा चुके हैं.
LAC में ठंड में भी डटे हैं भारतीय सैनिक
चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख की भारतीय सीमा को पार न कर सकें इसलिए हजारों की तादाद में भारतीय सैनिक बेहद ठंड में भी यहां की पहाडि़यों पर डटे हुए हैं. चीनी सैनिक ज़मीन के अलावा पेंगोंग झील के जरिये भी भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश करते रहते हैं. सितंबर के पहले हफ्तें में भी चीनी सैनिकों की दो नावों ने पेंगोंग में भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की थी. यहां चीनी सैनिक अपनी नावों को रोकने की कोशिश कर रही भारतीय सैनिकों की नावों को टक्कर मारकर उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं. चीनी सैनिक जिन नावों में आते हैं उनमें लगभग एक प्लाटून यानि 30-35 सैनिक होते हैं.
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