नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने आतंकवाद को युद्ध का एक नया तरीका बताते हुए बुधवार को कहा कि यह 'कई सिर वाले राक्षस' की तरह अपने पैर पसार रहा है और यह 'तब तक मौजूद रहेगा', जब तक कुछ देश राष्ट्र की नीति के तौर पर इसका इस्तेमाल करना जारी रखेंगे. जनरल रावत ने अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया पर कहा कि तालिबान से बातचीत होनी चाहिए, लेकिन यह बिना किसी शर्त के होनी चाहिए.


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'रायसीना डायलॉग' के दौरान यहां एक पैनल चर्चा में रावत ने कहा कि सोशल मीडिया कट्टरपंथ को फैलाने का जरिया बन रहा है, इसलिए इसे नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है. पाकिस्तान का स्पष्ट जिक्र करते हुए जनरल रावत ने कहा कि 'कमजोर देश'  दूसरे देश पर अपनी शर्तें मानने का दबाव बनाने के लिए आतंकवादियों का इस्तेमाल कर रहे हें और उन्होंने ऐसी नीति को बर्दाश्त किए जाने के खिलाफ आगाह किया.


उन्होंने कहा, 'अगर यह चलता रहा तो कुछ देश आतंकवादियों का वित्त पोषण करेंगे और उन्हें उस तरीके से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने की अनुमति देंगे जिस तरह वे देना चाहते हैं.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा तालिबान को पनाह दी.


'सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाने का समय आया' 
सेना प्रमुख ने कहा कि सोशल मीडिया कट्टरपंथ को फैलाने और वित्तीय संसाधन पैदा करने का जरिया बन रहा है. उन्होंने कहा कि अब इस पर नियंत्रण लगाने का समय आ गया है.  उन्होंने कहा, 'हमने जम्मू कश्मीर में अलग तरह का कट्टरपंथ देखा. देश जब तक राष्ट्र की नीति के तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देते रहेंगे तब तक यहां आतंकवाद मौजूद रहेगा. हम जम्मू कश्मीर में ऐसा होते देख रहे हैं.'  


उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बहुत सी गलत एवं झूठी जानकारियों के कारण युवाओं के अंदर कट्टरता की भावना आ रही है और धर्म संबंधी कई झूठी बातें उनके मनमस्तिष्क में भरी जा रही हैं.


जनरल रावत ने कहा, 'यह कम दृश्यता, ज्यादा लाभ उठाने का विकल्प है. यह अब युद्ध का एक नया तरीका बन रहा है. हमने कुछ वर्षों पहले गुरिल्ला युद्ध के तरीके का जिक्र किया था. अब यह आतंकवाद में बदल गया है.' उन्होंने कहा कि आतंकवाद अब युद्ध का नया तरीका बन रहा है. आतंकवाद कई सिर वाले एक राक्षस की तरह अपने पैर पसार रहा है.


'मादक पदार्थ और बंदूकों के बीच निश्चित तौर पर गठजोड़ है'
उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ और बंदूकों के बीच निश्चित तौर पर गठजोड़ है और मादक पदार्थ की गतिविधियों पर नियंत्रण लगाए बगैर वित्त पोषण और बंदूकों की गतिविधि पर लगाम लगाना मुश्किल होगा. उन्होंने ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ फैलाना चिंता का विषय है क्योंकि कई लोग इस प्लेटफार्म के जरिए कट्टर बन रहे हैं.


सेना प्रमुख ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें मीडिया और सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाने के लिए बहुत कुछ करना होगा. इसके लिए अगर किसी एक देश ने भी खास तरह की मीडिया को नियंत्रित करना शुरू कर दिया तो कहा जाएगा कि मीडिया अधिकारों पर लगाम लगाई जा रही है. इसलिए मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सोशल मीडिया के स्रोत को गलत सूचना फैलाने से रोका जाए क्योंकि ज्यादातर फंड उन लोगों से आ रहा है जो कट्टर बनते जा रहे हैं.'  


उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ आतंकवादी संगठनों द्वारा फंड एकत्रित करने की वजहों में से एक बन रहा है. कट्टर लोग फंड एकत्र करने में आतंकवादी संगठनों की मदद भी कर रहे हैं. सेना प्रमुख ने कहा कि आईएस कुछ अन्य देशों की तरह भारत में अपने पैर नहीं जमा पाया और उन्होंने इसका श्रेय भारत के संपन्न पारिवारिक मूल्यों को दिया.


(इनपुट - भाषा)