नई दिल्ली: पौराणिक कथाओं में वज्र को इंद्र देवता का अस्त्र कहा गया है. शास्त्रों के अनुसार इंद्र वज्र से अत्याचारी दानवों को पराजित करते थे. आज कलियुग में भारत (India) के पास एक ऐसा वज्र है, जो देश की सीमा पर नापाक नजर रखने वाले किसी भी दुश्मन को करारा जवाब दे सकता है. यहां बात इंडियन आर्मी (Indian Army) की शक्तिशाली K-9 वज्र तोप की जिसके प्रहार से बचना दुश्मन सेना के लिए असंभव है.


हिंद की सेना का वज्रपात!


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ये हिंद की सेना का वज्रपात है, जो दुश्मन को मटियामेट कर देता है. ये भारत के शूरवीरों का विजय-पथ है, जिसे देखकर हर हिंदुस्तानी का सीना गर्व से चौड़ा जाता है. ये भारत के शौर्य की वज्रशक्ति है, जो LAC से लेकर पूरे पाकिस्तान (Pakistan) की सरहद तक हुंकार भरती है. बीकानेर (Bikaner) स्थित महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (K-9 Vajra Latest test at Mahajan Field firing Range) में जब सेना (Army) ने इसके पराक्रम का प्रदर्शन किया तो उसकी गूंज इस्लामाबाद से लेकर बीजिंग तक सुनाई पड़ी. 


इस युद्धाभ्यास में सेना के परम शक्तिशाली आर्टिलरी सिस्टम ने दमखम दिखाया, जिसका नाम है K-9 वज्र. आर्मी का K-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी है, जो अपने नाम की तरह ही शत्रुओं पर ऐसा वज्रपात करता है कि उसके नापाक इरादे धूल में मिल जाते हैं. इसमें अपार शक्ति का संगम है इसलिए इसके नाम से ही देश के दुश्मन थर्राते हैं. 


आर्टिलरी की अहमियत


युद्ध के मैदान में टैंक और तोपखाना. ये दोनों थल सेना के सबसे भरोसेमंद और आक्रामक हथियार होते हैं. लेकिन इन दोनों की अपनी शक्ति है तो सीमाएं भी हैं. आम तौर पर टैंक सुरक्षित रहते हुए तेजी से हमला करने की ताकत देता है लेकिन इसकी रेंज करीब 5 किलोमीटर तक होती है. वहीं आर्टिलरी यानी तोपखाना लंबी दूरी तक भारी गोलाबारी कर दुश्मन के टारगेट को नेस्तनाबूद कर देता है लेकिन इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान नहीं होता. इसी जगह K-9 वज्र गेमचेंजर की भूमिका में सामने आता है.


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भारतीय सेना के अधिकारी ले. कर्नल मृदुल के मुताबिक K-9 वज्र में तोप और टैंक दोनों की खूबियां हैं. इसमें आर्टिलरी यानी तोपखाने की रेंज और ताक़त है. जो 18 KM से लेकर 50 KM तक दुश्मन का कोई भी ठिकाना तबाह कर सकती है. इसमें टैंक के पावर पैक्ड फीचर भी हैं. K-9 वज्र आर्मर्ड यानी टैंक की तरह किसी भी तरह के मैदान में तेजी से चल सकता है


मारक क्षमता में बढ़ोतरी


हिंद की सेना के तोपची अब हर मैदान में इसके इस्तेमाल में माहिर हो चुके हैं. K-9 वज्र ने भारतीय सेना की आर्टिलरी की मारक क्षमता में भारी बढ़ोतरी की है. सेना पहले जिस सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी का इस्तेमाल करती थी. उसमें विजयंत टैंक पर 130 मिमी की रूसी तोप अटैच होती थी जिनकी तादाद करीब 100 थी. उस पुरानी पड़ चुकी सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी को इस साल मार्च में रिटायर कर दिया गया क्योंकि इनका सुरक्षा चक्र भी कमजोर था.


लेकिन के-9 वज्र इन सभी मोर्चों पर अपना लोहा मनवाता है. इसीलिए इसे दुनिया के सबसे आधुनिक और हाईटेक सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी में शुमार किया जाता है. तोपखाना 35-40 किलोमीटर दूर से भारी गोलाबारी करके दुश्मन को मोर्चों और उसके हौसले दोनों को तोड़ देता है. तोपों को युद्धभूमि में सही जगह पर ले जाना काफी अहम होता है. इन्हें सेना की गाड़ियों के पीछे खींच कर ले जाना पड़ता है. वहीं बोफोर्स तोप में शूट एंड स्कूट की सुविधा है यानी वो फायर करने के तुरंत बाद अपनी जगह छोड़ देती है. लेकिन ये कुछ मीटर की दूरी तक ही जा सकती है. 


परमयोद्धा K-9 वज्र की USP


सबसे बड़ी बात कि सेना की शान परमयोद्धा K9 वज्र स्वदेश में निर्मित है. इसे दक्षिण कोरिया की मदद से भारत में ही बनाया गया है. यानी ये आत्मनिर्भर भारत के पराक्रम की नई पहचान है. रक्षा के क्षेत्र में भारत का अभिमान है. ये इस बात का प्रतीक है कि डिफेंस टेक्नोलॉजी के मामले में अब भारत अब महाशक्तियों की कतार में खड़ा है.