Delhi Elections 2025 Explain: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा है कि वो दिल्ली को हरियाणा और महाराष्ट्र नहीं बनने देंगे. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी और चुनाव आयोग के बीच परस्पर सहयोग से आम आदमी पार्टी को हराने की साजिश रचने का आरोप लगाया है. इस मकसद को पूरा करने के लिए बड़ी तादाद में मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम हटाने की चल रही कोशिशों का केजरीवाल ने खुलासा किया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल का यह सबसे आक्रामक हमला माना जा रहा है जो न सिर्फ बीजेपी पर है बल्कि चुनाव आयोग पर भी है. आम तौर पर चुनाव आयोग पर ये आरोप लगते रहे हैं कि बीजेपी के प्रति वो नरम और BJP के विरोधी दलों के प्रति सख्त रहता है. मगर, दोनों में मिली भगत है ऐसा संगीन आरोप इससे पहले किसी और ने इतने स्पष्ट तरीके से नहीं लगाया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीजेपी और अडानी के बीच संबंध को लेकर भी थोड़ा ढंके-छिपे तरीके से अरविंद केजरीवाल ने एक दिन पहले ही आरोप लगाए थे. केजरीवाल ने यह बात खुलकर कही थी कि अगर उन्होंने मुख्यमंत्री रहते बिजली अडानी को सौंप दी होती तो उनके जेल जाने की नौबत नहीं आती. नशे का मुद्दा उठाते हुए नशा गुजरात से आने, गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से नशे के संबंध और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गुजरात से जुड़े होने की बात कहते हुए भी केजरीवाल ने नशे के साथ अडानी जिनका मुंद्रा एअर पोर्ट है और बीजेपी के बीच मिलीभगत का इशारा केजरीवाल ने किया था.


अडानी-बीजेपी के बाद बीजेपी-चुनाव आयोग निशाने पर


ताजा हमला अडानी और बीजेपी के बीच संबंध से अलग बीजेपी और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत का है. यह कहीं बड़ा आरोप है. जब कागजी दस्तावेज दिखाते हुए अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कहते हैं कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के सारे आवेदनों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है जिसमें आम आदमी पार्टी से जुड़े मतदाताओं के नाम हटाने का आग्रह है तो दो स्थिति बन जाती है. पहली स्थिति यह है कि चुनाव आयोग इस आरोपों से इनकार करे. फिर केजरीवाल से सवाल-जवाब भी करे. दूसरी स्थिति यह है कि चुनाव आयोग स्पष्टीकरण दे कि उनके निर्देश का ऐसा कोई संबंध आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचाने से नहीं है. देखना है कि चुनाव आयोग कौन सा जवाबी तरीका अपनाता है. मगर, इसमें संदेह नहीं कि चुनाव आयोग की साख को अरविंद केजरीवाल ने दांव पर लगा दिया है.


आयोग को अपने अफसरों पर भरोसा नहीं?


अरविंद केजरीवाल का यह सवाल लाख टके का है कि जब चुनाव आयोग ने दिल्ली में अपने अफसरों को भेजकर घर-घर मुआयना करा लिया है और वोटर लिस्ट को तदनुसार संशोधित भी कर लिया है तो इतनी बड़ी संख्या में वोटर लिस्ट में फेरबदल की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? चुनाव आयोग की वेबसाइट के हवाले से अरविंद केजरीवाल ने एक पूरी सूची सामने रखी है जिसमें अलग-अलग विधानसभाओं से वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं. इस सूची पर गौर करें तो जनकपुरी में 6247, संगम विहार में 5862, आरके पुरम 4285, पालम में 4031, द्वारका में 4013, तुगलकाबाद 3987, ओखला में 3933, करावल नगर में 2957, लक्ष्मी नगर में 2147, मुस्तफाबाद में 2051, विकासपुरी में 1923, उत्तमनगर में 1807, कृष्णानगर में 1631 और मटियाला में 1661 वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं.


दिल्ली चुनाव से करीब डेढ़ महीना पहले मतदाता सूची से नाम हटाने की कवायद निश्चित रूप से कई सवाल खड़े करता है. यह काम अगर बीजेपी के सहयोग से हो रहा है और चोरी-छिपे हो रहा है जैसा कि अरविंद केजरीवाल के आरोप हैं तो यह और भी गंभीर बात है. दिल्ली के शाहदरा विधानसभा क्षेत्र में औपचारिक रूप से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 487 लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने की सूचना उपलब्ध है. मगर, बीजेपी ने जो 11,018 वोटरों के नाम हटाने का आवेदन दे रखा है जो वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है और चुनाव आयोग ने बीजेपी के आवेदनों पर कार्रवाई करने का निर्देश 19 नवंबर को दे रखा है तो ये बातें गंभीर सवाल खड़े करती है. क्या चुनाव आयोग चोरी छिपे मतदाताओं के नाम बीजेपी के कहने पर मतदाता सूची से हटाने पर काम कर रहा है?


अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर जो खुलासे किए हैं उससे महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों पर भी नये सिरे से सवाल खड़े होते हैं. हालांकि केजरीवाल ने कहा है कि वे नहीं जानते कि इन प्रदेशों में क्या कुछ गड़बड़ हुआ है. मगर, मतदाता सूची पर सवाल उठाने का काम महाराष्ट्र में भी बीजेपी के विरोधी दलों ने किया था और हरियाणा में भी. तब आरोप में इतनी स्पष्टता नहीं थी जितनी दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने स्पष्टता दे दी है. जाहिर है चुनाव चोरी करने के आरोपों को अरविंद केजरीवाल ने जुबान दे दी है.


केजरीवाल के सबूत को नकारना मुश्किल


केजरीवाल ने सिर्फ बयान नहीं दिए हैं सबूत भी दिए हैं और यही बात केजरीवाल के आरोपों को चुनाव आयोग पर तथ्यात्मक तरीके से चस्पां करती है. शाहदरा में रैंडमली 500 वोटरों की तहकीकात करना और उनमें से 372 वोटरों के नामों को मतदाता सूची से गलत तरीके से हटाए जाने के सबूत इकट्ठा करना बहुत बड़ी बात है. 75 प्रतिशत सही मतदाताओं के नाम अगर गलत तरीके से वोटर लिस्ट से गायब हो रहे हैं तो चुनाव को प्रभावित करने का यह सबसे बड़ा प्रमाण है. बचे हुए 25 प्रतिशत वोटरों के बारे में भी आम आदमी पार्टी का कहना है कि यह नहीं माना जा सकता कि उनके नाम हटाने का काम वाजिब तरीके से किया गया हो क्योंकि कई लोग अपने पते पर नहीं मिलते या उनके पते बदल जाया करते हैं.


अडानी, अमित शाह और अब चुनाव आयोग पर सीधे हमला कर अरविंद केजरीवाल ने जता दिया है कि दिल्ली को हरियाणा या महाराष्ट्र समझने की भूल ना करें. दिल्ली जगी हुई है. हर गलत का मुकाबला करने की क्षमता दिल्ली में है. न तो दिल्ली मुफ्त बिजली की सुविधा छीनने देगी और न ही अपने सबसे बड़े नागरिक अधिकार यानी वोट के अधिकार को छीनने ही देगी. कहने की जरूरत नहीं कि इस आवाज़ को मुखर करने का काम स्वयं अरविंद केजरीवाल ने कर दिखाया है.