`रात 11 के बाद लाठीचार्ज, नो फ्रेंडली पुलिस...` यह सुनकर क्यों भड़क गए Asaduddin Owaisi?
हैदराबाद पुलिस की एक घोषणा पर विवाद हो गया है. व्यापारियों के साथ अब सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि महानगरों में रातभर दुकानें खुलती हैं तो हैदराबाद में रात के 11 बजे ही बंद करने का फरमान क्यों?
Hyderabad Police Owaisi News: नो फ्रेंडली पुलिस, लाठीचार्ज पुलिस... कुछ इसी तरह का अनाउंसमेंट हैदराबाद पुलिस की ओर से किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कई लोगों ने ऐसा दावा किया है. अब हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के डीजीपी और हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर को टैग करते हुए सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखा है.
ओवैसी ने जिस शख्स का वीडियो पोस्ट शेयर किया है उसमें लिखा गया है, '11 के बाद इधर दिखना इच्च नहीं. अगर दिखे तो... लाठीचार्ज कर देंगे. नो फ्रेंडली पुलिस, लाठीचार्ज पुलिस. ठीक है?' दावा किया जा रहा है कि हैदराबाद पुलिस ने ट्रेडर्स को साफ कह दिया है कि रात में 11 के बाद दुकानें या दूसरे प्रतिष्ठान खुले नहीं रह सकते. हालांकि आधिकारिक रूप से निर्देश नहीं हैं. ऐसे में कारोबारियों में भ्रम की स्थिति बन गई है.
बताया जा रहा है कि पुलिस को यह निर्देश सीएम ए. रेवंत रेड्डी की तरफ से कानून-व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद दिया गया है. हाल में हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं और सरकार इस पर अंकुश लगाने के लिए आधी रात के समय शायद सड़क से भीड़ कम करना चाहती है.
ओवैसी बोले, कम से कम रात 12 बजे तक...
पुलिस के इस एक्शन से ओवैसी काफी नाराज दिखे. उन्होंने लिखा, 'क्या जुबली हिल्स में पुलिस ऐसी घोषणा कर सकती है? चाहे वे ईरानी चाय होटल हो या पान की दुकानें या व्यावसायिक प्रतिष्ठान, उन्हें कम से कम रात 12 बजे तक खुले रहने की अनुमति दी जानी चाहिए.
उन्होंने मांग की है कि किसी भी स्थिति में एक समान नीति होनी चाहिए. देशभर के बड़े महानगर रात में दुकानें खुली रखने की अनुमति देते हैं. ओवैसी ने कहा कि पहले से ही आर्थिक मंदी के हालात हैं. फिर हैदराबाद में अलग नीति क्यों?
कुछ दिन पहले ही हैदराबाद में चार लोगों के एक गिरोह ने पुलिस पर हमले की कोशिश की थी. बचाव में पुलिस को हवा में गोली चलानी पड़ी. यह घटना बीते शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि चिलकलगुडा थाने के इलाके में हुई. एक गिरोह ने एक पुलिसकर्मी का मोबाइल फोन छीनने की कोशिश की थी. पुलिस की मुस्तैदी के कारण चार सदस्यीय गिरोह को आत्मसमर्पण करना पड़ा.