False Dowry Claims: शादी गरीब की हो या अमीर की, दूल्हा और दुल्हन पक्ष अपनी हैसियत के हिसाब से एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं. लेकिन कई बार शादी में मिलने वाले उपहार और दहेज को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है. यहां तक की बहुत से ऐसे केस भी आए हैं जब दहेज उत्पीड़न के मामले में झूठे केस दर्ज कराए गए हों. ऐसे ही मामलों को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक सलाह दी है.


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दहेज के झूठे आरोप का चांस ही नहीं..


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि शादी में कितने उपहार मिले, कितने जेवर मिले इन सब की एक लिस्ट तैयार होनी चाहिए. लिस्ट में दोनों पक्षों द्वारा दिए गए उपहारों की पूरी डिटेल होनी चाहिए. लिस्ट पर दूल्हा और दुल्हन यानी दोनों पक्षों के हस्ताक्षर भी होने चाहिए. ऐसा कर, शादी के बाद होने वाले विवाद और मुकदमों में मदद मिल सकती है. साथ ही शादी के बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दहेज के झूठे आरोप नहीं लगा पाएंगे.


कोर्ट ने राज्य सरकार से किया सवाल


कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत कोई नियम प्रदेश सरकार ने बनाया है. अगर नहीं है तो फिर इसपर विचार किया जाना चाहिए. यहां शादी में मिले गिफ्ट्स और दहेज के बीच का अंतर भी समझना जरूरी है. जिसका कोर्ट ने भी जिक्र किया- शादी के समय लड़का और लड़की को मिलने वाले उपहार दहेज में नहीं आते. जबकि धन, संपत्ति या मूल्यवान सामान जो दुल्हन का परिवार दूल्हे और उसके परिवार को देता है, दहेज में आता है.


दहेज लेना और देना दोनों ही सामाजिक अपराध


भारत में दहेज उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं. साथ ही दहेज को लेकर हत्याओं के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है. NCRB के आंकड़ों के मुताबिक भारत में वर्ष 2020 में दहेज के 10,366 केस दर्ज हुए थे. वर्ष 2021 में ये बढ़कर 13,534 हो गए. इसके अगले वर्ष यानी वर्ष 2022 में 13,479 दहेज के केस दर्ज हुए. दहेज लेना और देना दोनों ही सामाजिक अपराध है. इस पर रोक लगाने के लिए दहेज निषेध अधिनयम बना था, जिसकी धारा 3 के तहत दहेज लेने या फिर देने पर कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है.


लिस्ट से सच और झूठ का पर्दाफाश..


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना है कि लिस्ट जरूरी है. जिससे दोनों पक्षों को आसानी होगी की किसने, क्या, किसको दिया है. और शादी के बाद होने वाले विवादों और मुकदमों में इस लिस्ट से सच और झूठ का पर्दाफाश भी हो जाएगा.