Azamgarh Loksabha Byelection Result: आजमगढ़ में मायावती ने अखिलेश के साथ कर दिया `खेला`, ऐसे बाजी मार गए `निरहुआ`
Azamgarh Loksabha Byelection Result: आजमगढ़ में हुए कड़े मुकाबले में बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी 266210 मत हासिल किए. आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव के तहत गत 23 जून को मतदान को हुआ था. इस दौरान यहां पर 49.43 फीसदी वोट पड़े थे.
Azamgarh Loksabha Byelection Result: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) को पटखनी दे दी. बीजेपी उम्मीदवार उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के धर्मेंद्र यादव को 8679 मतों के अंतर से शिकस्त दी.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विधायक बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट रिक्त हुई थी. आजमगढ़ में बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. आजमगढ़ में बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली की दमदार मौजूदगी से संघर्ष त्रिकोणीय रहा.
सपा और बसपा के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में निरहुआ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी धर्मेंद्र यादव को 8679 मतों से हराया. निरहुआ को 312768 मत मिले जबकि सपा के धर्मेंद्र यादव को 304089 मत मिले. कड़े मुकाबले में बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी 266210 मत हासिल किए. आजमगढ़ में 5369 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. आजमगढ़ सीट पर उपचुनाव के तहत गत 23 जून को मतदान को हुआ था. इस दौरान यहां पर 49.43 फीसदी वोट पड़े थे.
बसपा के गुड्डू जमाली ने सपा का खेल किया खराब
आजमगढ़ को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. यहां पर 2014 के चुनाव में जहां मुलायम सिंह यादव ने बाजी मारी थी तो 2019 के चुनाव में अखिलेश यादव को जीत मिली थी. इस बार के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी की जीत तय मान करके चल रहे थे. तब ही तो वो धर्मेंद्र यादव के लिए प्रचार करने तक के लिए नहीं पहुंचे.
देखा जाए तो आजमगढ़ में अखिलेश का खेल खराब मायावती ने किया. मायावती ने यहां से मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर सपा के वोट बैंक में सेंध लगाई. चुनाव में बीजेपी की जीत की राह को गुड्डू जमाली ने ही खोला. उन्होंने इस बार के चुनाव में हार-जीत के बीच एक बड़ा अंतर और खड़ा कर दिया.
आजमगढ़ में 2014 और 2019 चुनाव में सपा की जीत के पीछे एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण का काम करना बताया गया था. हालांकि, इस बार बसपा के गुड्डू जमाली और बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ सपा के इस समीकरण को काटने की कोशिश करते दिखे.
आजमगढ़ सीट पर मतदाताओं में से सबसे बड़ी आबादी यादव वोटर्स की है. इनकी आबादी करीब 26 फीसदी है. वहीं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 24 फीसदी है. इन दोनों को मिला दिया जाए तो 50 फीसदी मतदाता एक तरफ हो जाते हैं और सपा की जीत का आधार भी यही बनते रहे हैं.
मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक की जीत यही समीकरण तय करता रहा. वहीं, बसपा की जीत में दलितों के करीब 20 फीसदी और मुस्लिम वोट बैंक कारगर साबित हुआ है. बीजेपी की जीत का समीकरण सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और दलित वोट बैंक के साथ-साथ यादवों के एक वर्ग का समर्थन रहा है.
जमाली के खाते में आए 29.27 प्रतिशत वोट शेयर
जमाली ने 29.27 प्रतिशत के वोट शेयर के साथ 2.66 लाख वोट हासिल किए, जिससे सपा की सीट को बरकरार रखने की संभावना को प्रभावी ढंग से नुकसान पहुंचा. 2019 के चुनाव में सपा बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी.लेकिन इस बार तस्वीर अलग रही. जमाली के प्रदर्शन से सपा का वोट शेयर 33.44 प्रतिशत रहा, जो 2019 के चुनाव में 60 प्रतिशत के करीब था.
जमाली की उम्मीदवारी दलित और मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की बसपा की रणनीति का हिस्सा थी. चुनाव में उनका प्रदर्शन असरदार रहा, लेकिन बसपा के कई नेता इस बात से हैरान है कि वह जीतने में कामयाब नहीं हुए.
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बसपा के एक स्थानीय नेता ने कहा कि जमाली स्थानीय नेता हैं. उन्होंने महामारी के दौरान मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर और लोगों की अन्य प्रकार से भी मदद की. उनका सभी से जुड़ाव है. वह सबकी मदद करते हैं. उन्हें मुसलमानों और दलितों के वोट मिले और वे हार गए क्योंकि अधिकांश पिछड़ी जातियों ने उन्हें वोट नहीं दिया और वे बीजेपी को गए.
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