Baldeogarh Fort Mystery: (शिवांक मिश्रा/अलवर) पहाड़ी पर बसा हजारों करोड़ के खजाने का रहस्य, जिसे जिसने भी भेदने की कोशिश की उसे किले का अंधा कुआं खींच लेता है. आज हम आपको ऐसे किले की यात्रा पर लेकर चल रहे हैं, जिसके जर्रे जर्रे में रहस्य, रोमांच और खौफ पसरा है. वो किला जिसके लिए दावा किया जाता है कि उसके नीचे दफन है हजारों करोड़ रुपये का खजाना. दावा है खजाना जिसकी रक्षा सफेद नाग करते हैं. आसमान छूती पहाड़ियों पर चढ़कर बैठा एक किला, जहां खामोश वीराने में दहशत का साया है, जहां मौत की आहट है तो खौफ की सरसराहट, लेकिन हर चुनौती को पारकर हम आपको बलदेवगढ़ किले का रहस्य बताएंगे. रहस्य की तह तक जाएंगे. दावों की पड़ताल से आपको रूबरू कराएंगे.


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जिसने भी खोदने की कोशिश, उसे...


राजस्थान के अलवर का बलदेवगढ़ किला, बड़े बड़े महलों से भी ज्यादा रहस्यमय है. भूलभुलैया के रास्तों से भी उलझे हुए रास्ते. रहस्य और खौफ से भरा एक ऐसा किला, जिसके जर्रे-जर्रे की हिफाजत सफेद नाग का जोड़ा करता  है. किले में जाना तो सब चाहते हैं, लेकिन जाने में रूह कांप उठती है. पहाड़ी पर बसा हजारों करोड़ के खजाने का रहस्य, जिसे जिसने भी भेदने की कोशिश की, उसे किले का अंधा कुआं खींच लेता है.


किले ने नीचे दबा हजारों करोड़ का खजाना?


वीरानी के आगोश में पहाड़ी पर कब्जा जमाए एक किला, जिसकी खौफनाक सुरंगे भी रक्षा कवच बनकर आज भी इस किले की रक्षा करती हैं. ये सुरंगे कहां तक हैं, किसी को नहीं पता है. जमीन से सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर उभरा बलदेवगढ़ का किला, जो दूर से देखने में जितना रहस्यमय दिखता है. उससे भी कहीं ज्यादा रहस्यमयी है इसके साथ उभरे हुए दावे हैं. वो दावा जो कहता है कि राजा आज भी इन वीरानियों में आवाज देते हैं. वो दावे जो कहते हैं कि हजारों करोड़ का खजाना आज भी बलदेवगढ़ की इन वीरानियों में कहीं दबा है.


अंधे कुएं की आंखों देखी ख़ौफ़नाक दास्तान!


दावा किया जाता है कि यहां खजाना है, बहुत लोगों ने खोदेने की कोशिश की. लेकिन ये खजाना कहां है, किसी को नहीं पता. खोजने वाले बहुत आए, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा. लेकिन, जी न्यूज ने ठानी कि इस रहस्य की पड़ताल होगी. चढ़ना मुश्किल है. रास्ता दुर्गम है. ऊंचाई इतनी कि सुबह चढ़ना शुरू करें तो सूरज सिर पर चढ़ आए. दोपहरी में भी बलदेवगढ़ किले के खौफ का अंधेरा पसरा रहता है. Zee News की टीम का सबसे पहले सामना हुआ, उस कुएं से, जिसे अंधा कुआं कहते हैं. वो कुआं जिसकी गहराई के बारे में कोई भी असल प्रमाण नहीं है. वो कुआं, जिसे बलदेवगढ़ किले का अदृश्य बॉडीगार्ड कहा जाता है. कहते हैं ये कुआं अपनी तरफ आने वालों को खींच लेता है.


स्याह रात में ऊपर आने लगता है अंधे कुएं का पानी?


कहते हैं इस किले और किले के खजाने की अदृश्य सुरक्षा करने वाले इस अंधे कुएं का पानी स्याह रात गहराते ही ऊपर आने लगता है. हमारे संवाददाता शिवांक मिश्रा ने काफी देर तक पूरी सुरक्षा के साथ कुएं की पड़ताल की. हमारी पड़ताल में कुएं में पानी के वो निशान साफ दिखाई दिए. इलाके के स्थानीय लोग भी बताते हैं कि कुंआ बहुत ज्यादा गहरा है, इसलिए इसे अंधा कुआं बोलते हैं. कुआं गुम्म गुम्म करता है, जैसे कोई खींच रहा हो.


इस रहस्यमय कुएं के अंदर छिपा है अकूत खजाना! 1200 साल बाद भी कोई नहीं खोल पा रहा राज


खजाने की रक्षा करते हैं सफेद नाग


रहस्य से भरे इस कुएं के बाद शिवांक मिश्रा आगे बढ़े किले के उस रहस्य को खंगालने, जो यहां 100 किलोमीटर के दायरे में घर घर में पसरा है. कहा जाता है कि यहां गुप्त रहस्य वाला तहखाना है और यहां खजाने की रक्षा नाग करते हैं. यहां पहुंचकर सांपों के बिल के निशान भी दिखे और वो सुरंग की मौजूदगी का अहसास कराते निशान भी दिखे, जो सांप की कहानी को सच्चाई का जामा पहना रहे थे.


किले के अंदर अकूत खजाना की तलाश


अब तक दो रहस्यों की पड़ताल में हमें किए गए दावों में से कुछ सच्चाई भी नजर आई, लेकिन अब आगे देखना था कि आखिर किले के अंदर क्या वैसा ही कुछ है, जिसका दावा किया गया है. यहीं, शिवांक को खोजबीन में वो सुरंग भी दिखाई दी, जिसके बारे में कहा जाता है कि बलदेवगढ़ की सुरंग करीब 12 किलोमीटर दूर भानगढ़ के किले तक जाती है. कहा ये भी जाता है उसी सुरंग के रास्ते के किसी हिस्से में खजाना छिपा हो सकता है. वो खजाना जो कितना होगा, उसका सटीक अनुमान मुश्किल है, लेकिन कहते हैं इतना अकूत खजाना जिसे गिनने में दर्जनों दिन लग जाएं.


अपने खजाने  के लिए आज भी यहां भटकते हैं राजा?


चमगादड़ों की मौजूदगी मन में उपजे खौफ को कई गुना बढ़ा देती है. कहते हैं अपने खजाने  के लिए आज भी राजा यहां भटकते हैं और आवाज देते हैं. उन सांपों का सुरक्षा चक्र बनाते हैं, जिनके खौफ ने खजाने की तलाश में आने वालों के लिए अदृश्य दरवाजा बना दिया है. गिरते पड़ते, अंधेरे की चुनौती को भेदते हमारे संवाददाता उस जगह पहुंच गए, जहां के मटके चीख चीखकर खजाने के निशाने की गवाही दे रहे थे. यहां कमरे के अंदर कमरा, कमरे के अंदर कमरा, अंधेरे के अंदर अंधेरा और उसके अंदर और घुप्प अंधेरा. सोचिए अकेले इस किले के रहस्य को चीरने की कोशिश करने वाले का हाल इस अंधेरी वीरान दुनिया में कैसा हो सकता है. सोचा जा सकता है.


शाम ढलते ही गहरा जाती हैं रहस्यमय ताकतें


शाम गहराई तो हमने लोगों के कहने की वजह से किले को छोड़ना ज्यादा मुनासिब समझा. गहराती शाम के साथ कहते हैं की इस किले की रहस्यमय ताकतें भी गहरा जाती हैं. इसीलिए, हमारी टीम बलदेवगढ़ के रहस्यों से भरे इस किले से नीचे उतर आई. ये सोच कर फिर कभी किसी रोज इस किले की और बारीक पड़ताल की जाएगी. उन रहस्यों से भी पर्दा उठाने की कोशिश की जाएगी, जिनके जवाब इस बार नहीं मिले. लेकिन, इतना जरूर है कि बलदेवगढ़ के रहस्यों को लेकर जितने दावे किए गए हैं, उनमें हर किसी को झुठलाया भी नहीं जा सकता.