Bariatric Surgery: 2 साल की उम्र में 45 किलो वजन, जानलेवा बीमारियों का था खतरा; फिर यूं बची जान
Bariatric Surgery of 2 year girl: बच्ची की हालत ऐसी क्यों हुई, इसका जवाब गंगाराम अस्पताल, मैक्स अस्पताल और एम्स (AIIMS) के डॉक्टर मिलकर भी नहीं ढूंढ पाए हैं. वहीं माना जा रहा है कि इस तरह से वजन बढ़ने का कोई जेनेटिक कारण हो सकता है.
नई दिल्ली: राजधानी में बच्चों की सर्जरी से जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. शाहदरा में रहने वाली दो साल की मासूम बच्ची का वजन इतना बढ़ गया कि उसकी जान बचाने के लिए पटपड़गंज के एक अस्पताल में उसकी बेरिएट्रिक सर्जरी (Bariatric Surgery ) करनी पड़ी. आम तौर पर बच्चों की बेरिएट्रिक सर्जरी नहीं की जाती है. बेरिएट्रिक सर्जरी के लिए कम से कम 12 से 15 वर्ष के बीच उम्र होनी चाहिए. हालांकि इस केस में कोई और चारा भी नहीं था.
बच्ची का वजन जन्म के समय 2.5 किलो था. जन्म के बाद वजन तेजी से बढ़ना शुरु हुआ. 6 महीने की उम्र तक आते आते वजन 14 किलो हो गया. वेट इतना बढ़ चुका था कि एक साल और 10 महीने की उम्र से बच्ची को व्हील चेयर पर आना पड़ा. क्योंकि बच्ची के माता पिता के लिए उसे गोद में उठाना मुश्किल था. दो साल में उसका वेट 45 किलो हुआ. बच्ची अभी तक ठीक से चल भी नहीं पाती है.
'खतरा टला नहीं'
बच्ची के इंसुलिन लेवल बढ़ गए हैं, यानी उसे डायबिटीज़ होने का खतरा है. कभी-कभी नींद में उसकी सांसे रुकने लगती हैं. इसे Sleep Apnea कहते हैं. यहां तक कि पीछे गर्दन टिकाकर सोना भी इस बच्ची के लिए लगभग असंभव है. इस सर्जरी करने वाले मैक्स अस्पताल के सर्जन डॉ विवेक बिंदल के मुताबिक इतने छोटे बच्चे की ऐसी जटिल सर्जरी करना आसान काम नहीं था. हालांकि सर्जरी के बाद बच्ची का वजन 5 किलो कम हो गया.
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बेरिएट्रिक सर्जरी का रिस्क फैक्टर
वजन कम करने की ये सर्जरी काफी मुश्किल होती है. इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं. कई बार इस सर्जरी के दौरान शरीर के किसी अहम अंग में कट लगने का खतरा रहता है, वहीं ज्यादा ब्लीडिंग होने का डर रहता है और मरीज का वजन जरुरत से ज्यादा घटने और उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी का खतरा भी हो जाता है.
इस तरह हुआ ऑपरेशन
बच्ची की सर्जरी स्लीव गैस्ट्रेक्टमी तकनीक से की गई है. इस तकनीक में पेट का एक हिस्सा काटकर उसका आकार छोटा कर दिया जाता है. जिससे व्यक्ति को भूख नहीं लगती. उसका पेट भरा ही रहता है क्योंकि पेट में जगह कम होती है और कम खाने की वजह से वजन कंट्रोल होने लगता है. पेट के हिस्से को छोटा करके स्टेपल कर दिया जाता है. सर्जरी के बाद ख्याति की स्लीप एप्निया की परेशानी काफी हद तक कम हो गई है.
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BMI देख हैरान थे डॉक्टर
दरअसल किसी की सेहत कैसी है इसका पता लगाने के बीएमआई (BMI) निकाला जाता है. उस आधार पर जान सकते हैं कि सेहत, लंबाई और वजन के हिसाब से संतुलित है या नहीं.
BMI = वजन / लंबाई स्कवायर या BMI = वजन / (ऊंचाई X ऊंचाई)
BMI 18 से कम हो तो व्यक्ति कमजोर माना जाता है अगर BMI 24 के ऊपर हो तो उसे मोटा माना जाता है. अब सोचिए 2 वर्ष की बच्ची का बीएमआई 41 से भी ज्यादा था. यानी हर मानक के कहीं ज्यादा पार.
सामान्य स्थिति में लौटने में लगेगा वक्त
आपरेशन के 4 दिन बाद ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था. सर्जरी को दो हफ्ते बीत चुके हैं. अब वो हल्का तरल खाना ले पा रही है. सॉफ्ट डाइट लेने में कोई परेशानी नहीं है. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि अभी बच्ची को सामान्य वजन तक आने में 1 साल का वक्त लग सकता है. जिसका एक 8 साल का भाई भी है जो अपनी उम्र के हिसाब से नॉर्मल है. अब माता पिता को उम्मीद है कि जल्द ही ख्याति भी बाकी बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सकेगी.
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