वेदिका जब 8 महीने की थी तब उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) हो गई थी. उसके माता-पिता ने, उसे बचाने के लिए जी-जान से कोशिशें कीं. उसके इलाज के लिए 16 करोड़ के इंजेक्शन का इंतजाम करने के लिए क्राउड फंडिंग से पैसे इकट्ठे दिए.
करोड़ों रुपये के इस इंजेक्शन को खरीदने में मदद करने के लिए दुनिया भर से लोगों ने अपना योगदान दिया था. हालांकि, टीका लगवाने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और एक महीने बाद उसकी मौत हो गई.
वेदिका को डेढ़ महीने पहले यह इंजेक्शन दिया गया था. अमेरिका से आए इस इंजेक्शन के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी भी हटा दी थी.
इंजेक्शन लेने के बाद वेदिका की हालत सुधरने लगी थी, लेकिन सांस लेने में अचानक दिक्कत होने पर बच्ची को 1 अगस्त, रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहीं इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) ऐसी बीमारी है जिसका इलाज Zolgensma नाम के एक इंजेक्शन से ही संभव है. इसमें पीड़ित बच्चा धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है क्योंकि वह मांसपेशियों की गतिविधियों पर अपना कंट्रोल खो देता है. यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुंचती है.
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