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Pune: 16 करोड़ का Injection भी नहीं आया काम, आखिरकार थम गईं मासूम वेदिका की सांसें

स्‍पाइनल मस्‍कुलर एट्रोफी टाइप-1 (SMA Type-1) से जूझ रही 11 महीने की बच्‍ची वेदिका शिंदे (Vedika Shinde) आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई. पुणे (Pune) की इस बच्ची को दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी थी. उसे बचाने के लिए तमाम कोशिशें की गईं थीं, 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन लगाया गया था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका.

लगा था 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन

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लगा था 16 करोड़ रुपये का इंजेक्‍शन

वेदिका जब 8 महीने की थी तब उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) हो गई थी. उसके माता-पिता ने, उसे बचाने के लिए जी-जान से कोशिशें कीं. उसके इलाज के लिए 16 करोड़ के इंजेक्शन का इंतजाम करने के लिए क्राउड फंडिंग से पैसे इकट्ठे दिए. 

दुनिया भर से उठे थे मदद के हाथ

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दुनिया भर से उठे थे मदद के हाथ

करोड़ों रुपये के इस इंजेक्‍शन को खरीदने में मदद करने के लिए दुनिया भर से लोगों ने अपना योगदान दिया था. हालांकि, टीका लगवाने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और एक महीने बाद उसकी मौत हो गई.

डेढ़ महीने पहले दिया गया था इंजेक्‍शन

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डेढ़ महीने पहले दिया गया था इंजेक्‍शन

वेदिका को डेढ़ महीने पहले यह इंजेक्‍शन दिया गया था. अमेरिका से आए इस इंजेक्‍शन के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी भी हटा दी थी.

अचानक हुई दिक्‍कत

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अचानक हुई दिक्‍कत

इंजेक्‍शन लेने के बाद वेदिका की हालत सुधरने लगी थी, लेकिन सांस लेने में अचानक दिक्कत होने पर बच्ची को 1 अगस्त, रविवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहीं इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

क्‍या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी?

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क्‍या है स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी?

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) ऐसी बीमारी है जिसका इलाज Zolgensma नाम के एक इंजेक्‍शन से ही संभव है. इसमें पीड़ित बच्चा धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है क्योंकि वह मांसपेशियों की गतिविधियों पर अपना कंट्रोल खो देता है. यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो जीन में गड़बड़ी होने पर अगली पीढ़ी में पहुंचती है.

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