Nasal Vaccine: कोरोना वैक्सीन अब नाक से दी जा सकेगी, देश की पहली नेजल वैक्सीन का ट्रायल पूरा
Intranasal vaccine: कोरोना की दो डोज वाली नेजल वैक्सीन के ट्रायल 3100 लोगों पर किए गए हैं. भारत में 14 जगहों पर ये ट्रायल हुए हैं. हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के ट्रायल 875 लोगों पर हुए और भारत की 9 जगहों पर ये ट्रायल किए गए.
Bharat Biotech Intra Nasal Vaccine: देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है और इसी दिन कोरोना से जारी जंग में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कोरोना की नेजल वैक्सीन के ट्रायल में अहम सफलता हासिल की है. इस वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम BBV154 है और नेजल वैक्सीन पर दो तरह के ट्रायल चल रहे थे. पहला ट्रायल कोरोना की दो डोज वाली प्राइमरी वैक्सीन को लेकर चल रहा था और दूसरा ऐसी बूस्टर डोज के तौर पर, जो कोवीशील्ड और कोवैक्सीन लगाने वाले दोनों तरह के लोगों को लगाई जा सकेगी. इन दोनों के ही तीसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो गए हैं और इसका डाटा ड्रग कंट्रोलर को जमा किया गया है. अब ड्रग कंट्रोलर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी इस डाटा का रिव्यू करेगी.
ट्रायल में मिले शानदार नतीजे
कोरोना की दो डोज वाली नेजल वैक्सीन के ट्रायल 3100 लोगों पर किए गए हैं. भारत में 14 जगहों पर ये ट्रायल हुए हैं. हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के ट्रायल 875 लोगों पर हुए और भारत की 9 जगहों पर ये ट्रायल किए गए. दोनों स्टडी में प्रतिभागियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई. हेटेरोलोगस बूस्टर डोज यानी ऐसी वैक्सीन जो कोवैक्सीन और कोवीशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे.
शुरुआती नतीजों के मुताबिक नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है और संक्रमण कम फैल पाता है. हालांकि इसकी और स्टडी भी की जा रही है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन की सेंट् लुईस यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया है.
इन राज्यों में तैयार होगी वैक्सीन
भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस वैक्सीन के लिए आंशिक फंडिंग की है. भारत बायोटेक की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा इल्ला ने आजादी के दिन ये जानकारी साझा करते हुए कहा कि नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन का विकसित होना किफायती कदम है. ये वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री के तापमान पर स्टोर की जा सकेगी. इसे बनाने का काम गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्लांट्स में किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कोरोना से लड़ाई में मजबूती के साथ लड़ने के लिए देश की जनता और वैज्ञानिकों की सराहना की है. उन्होंने लाल किले की प्राचीर से दिए अपने संबोधन में कहा कि भारत ने टाइम बाउंड तरीके से लोगों को कोरोना वैक्सीन की 200 करोड़ डोज देने का रिकॉर्ड बनाया है जो किसी अन्य देश के लिये संभव नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई साझी जागरुकता का एक और उदाहरण है जिसके लिये नागरिक साथ आए हैं.
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