बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने दी अपने विधायक को इशारों में नसीहत, कहा-जनभावनाओं को न करें आहत
बिहार के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि स्वतंत्रता ताकत होती है, लेकिन ताकत के साथ जिम्मेदारियां भी साथ आती है. जनभावनाओं को आहत करने की छूट नहीं दी जा सकती है. दुर्भाग्य से विपक्षी दलों द्वारा शुरू किए गये इस ट्रेंड के शिकार कुछ पक्षवाले भी हो गए हैं.
पटनाः बिहार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने इशारों में अपनी ही पार्टी के विधायक को नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा कि संविधान ने प्रत्येक भारतीय नागरिक को कई अधिकार दिए हैं, जिनमें 'अभिव्यक्ति की आजादी' की गूंज आजकल सबसे अधिक सुनाई देती है.
ताकत के साथ आती है जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता ताकत होती है, लेकिन ताकत के साथ जिम्मेदारियां भी साथ आती हैं. जिम्मेदारी के बिना ताकत को अराजकता में बदलने में देर नहीं लगती. उन्होंने कहा कि जनभावनाओं को आहत करने की छूट नहीं दी जा सकती. कुछ लोग संविधानप्रदत इस अधिकार का दुरूपयोग करने को ही श्रेष्ठता समझने लगे हैं.
भाजपा विधायक ने दिया था बयान
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बोलने की आजादी की आड़ में बेलगाम बयान देना फैशन सा हो चला है. दुर्भाग्य से विपक्षी दलों द्वारा शुरू किए गए इस ट्रेंड के शिकार कुछ पक्षवाले भी हो गए हैं. इस स्थिति को विशेषकर भाजपा में किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं किया जा सकता. बता दें कि भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर ने कहा था कि मुसलमानों से वोटिंग का अधिकार छीन लेना चाहिए. मुसलमानों को 1947 में दूसरा देश मिल चुका है, वहीं चले जाएं. विधायक ठाकुर ने कहा था कि यहां रहेंगे तो दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा. इसके अलावा भाजपा विधायक ने मुसलमानों को मानवता का दुश्मन तक बता डाला और कहा कि वह पूरी दुनिया को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते है. भाजपा विधायक ने यह जवाब AIMIM विधायकों के उस बयान पर दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि विधानसभा में या किसी भी सार्वजनिक मंच से राष्ट्रीय गीत नहीं गाएंगें.
AIMIM विधायकों के बयान पर दी थी प्रतिक्रिया
माना जा रहा है कि डॉ. जायसवाल का बयान भाजपा के विधायक को लेकर ही है. हालांकि, उन्होंने कहीं भी विधायक का नाम नहीं लिया है. जायसवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कोई छीन नहीं सकता. उसमें भी जब सत्ता में परिवारवादियों की बजाए मोदी सरकार हो, तो यह बात नामुमकिन हो जाती है. संविधान विरोधी कोई बात कहना खुद से अपनी बेइज्जती करवाने के बराबर है.
जनप्रतिनिधि से बढ़ती है लोगों की अपेक्षाएं
उन्होंने आगे कहा कि जब आप जनप्रतिनिधि हों, तो लोगों की आपसे अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं. संयम और शालीनता आपकी कथनी और करनी दोनों में झलकनी चाहिए. नहीं, तो जिन ताकतों के विरोध में जनता ने आपको दायित्व दिया है, उनमें और आपमें कोई अंतर बाकि नहीं रह जाता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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