झारखंड के इस गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे आदिवासी, नई सरकार से बड़ी उम्मीद
Advertisement

झारखंड के इस गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे आदिवासी, नई सरकार से बड़ी उम्मीद

धनबाद शहरी क्षेत्र से सटे दामोदरपुर टांडीडीह गांव में समस्याओं का अंबार है. सड़क, शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं राह तांक रही हैं.

 20 साल बाद भी, आदिवासियों (Tribals) को उनका हक अधिकार नहीं मिल पाया है.(फाइल फोटो)

धनबाद: झारखंड के अलग राज्य बने 20 साल बाद भी, आदिवासियों (Tribals) को उनका हक अधिकार नहीं मिल पाया है. आज भी आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक और समाजिक दृष्टि से पिछड़ा है. आदिवासी बहुल क्षेत्रो में मूलभूत समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं.

धनबाद शहरी क्षेत्र से सटे दामोदरपुर टांडीडीह गांव में समस्याओं का अंबार है. सड़क, शौचालय और आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं राह तांक रही हैं. दरअसल, झारखण्ड राज्य का गठन वर्ष 2000 में हुआ था. राज्य के बने 20 साल हो चुके है. इस प्रदेश में जितनी भी सरकारें आई आदिवासियों के उत्थान के लिए बड़े-बड़े वादे भी किए. लेकिन जमीनी हकीकत यह बता रही है कि, सरकारों के वादे उनकी घोषणाएं, आदिवासियों के साथ महज छलावा था. नई सरकार से एक बार फिर उम्मीदे बढ़ी है कि, हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार आदिवासियों का कल्याण करेगी.

ऐसे में धनबाद के दामोदरपुर टांडीडीह में बसे 50 आदिवासी परिवार, राज्य सरकार से बड़ी उम्मीद लगाए बैठें हैं. टांडीडीह के रहने वाले सोना मणि हासदा कहती हैं कि, 'राज्य सरकार के तरफ से न ही इंद्राआवास मिला, न गैस चूल्हा मिला और शौचालय बनते के साथ ही टूट गया, और अब बेकार पड़ा हुआ है. हम लोग लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाते हैं.'

बता दें कि, झारखंड में बने आदिवासी मुख्यमंत्री से इस समाज ने बड़ी उम्मीद जताई हुई है. उन्हें आस है कि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कुछ करेंगे और चुनाव के समय मे जो वादा किया था, उसे पूरे करेंगे. आदिवासी महिला कहती है कि, दूसरे के घर मे बर्तन साफ कर अपना और अपने परिवार का गुजारा करती हूं, न पक्का घर है, न रोजगार है. जबकि, बरसात के समय बैठ कर रात गुजारना पड़ता है.