Bihar News: केंद्र सरकार के द्वारा पेश किए गए रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि बिहार के सरकारी स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों में फर्स्ट एड की सुविधा नहीं है. केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 93 प्रतिशत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में फर्स्ट ऐड की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. अगर किसी बच्चे को चोट लग जाती है तो मोटी रकम लेने वाली ये प्राइवेट स्कूल उन बच्चों को प्राथमिक उपचार की सुविधा तक नहीं दे सकती है. चिकित्सीय सुविधा के साथ बिहार के 44 फीसदी स्कूलों में लाइब्रेरी विथ बुक की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.


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केंद्र सरकार के द्वारा पेश किए गए डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी की आधिकारिक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है कि राज्य में केवल सात फीसदी प्राइवेट स्कूल ही ऐसे हैं, जिसमें बच्चों को चोट लगने के बाद प्राथमिक उपचार यानी फर्स्ट एड की सुविधा मिल सकती है. साल 2022 की रिपोर्ट अब पेश हुई है. इसके मुताबिक राज्य में कुल स्कूलों की संख्या 93165 हजार हैं. जिसमें 75558 हजार स्कूल सरकारी है और 8097 हजार प्राइवेट स्कूलों की संख्या हैं. वहीं, अनुदानित स्कूलों की संख्या 742 के साथ अन्य तरह के स्कूलों की संख्या 8768 हजार हैं. 


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इसमें 86 फीसदी यानी 80264 हजार स्कूलों में प्रारंभिक चिकित्सा की छोटी-मोटी सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. बिहार के केवल 14 प्रतिशत, यानी 12901 हजार स्कूल में ही फर्स्ट एड की सुविधा बच्चों के लिए उपलब्ध है. प्राइवेट स्कूलों की तरह 93 प्रतिशत यानी 70434 हजार सरकारी स्कूलों में किसी तरह की चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं है. केवल सात प्रतिशत, 5124 हजार स्कूलों में ही फर्स्ट एड की सुविधा मौजूद है. इसी क्रम में 53 प्रतिशत अनुदानित स्कूलों के साथ 47 फीसदी अनुदानित स्कूलों में   प्रारंभिक चिकित्सा की सुविधा मौजूद नहीं है.


आपको बता दें कि फर्स्ट एड के साथ राज्य के कई स्कूलों में लाइब्रेरी और बुक्स की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. राज्य के कुल 93165 स्कूलों में से 44 फीसदी, यानी 41376 हजार स्कूलों में लाइब्रेरी विथ बुक की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बुक्स और लाइब्रेरी के दृष्टिकोण से बिहार के स्कूलों को देखें तो 74 प्रतिशत, 56154 हजार सरकारी स्कूल, 65 प्रतिशत, 5279 हजार प्राइवेट स्कूल, 49 प्रतिशत अनुदानित और 41 प्रतिशत अन्य श्रेणी के स्कूलों में किताब सहित लाइब्रेरी की सुविधा का अभाव है.


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