छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के पास से पहली बार जर्मन जी-थ्री राइफल बरामद, जांच में जुटी पुलिस
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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के पास से पहली बार जर्मन जी-थ्री राइफल बरामद, जांच में जुटी पुलिस

छत्तीसगढ़ पुलिस ने आज दावा किया है कि पहली बार उन्होंने माओवादियों के खिलाफ एक अभियान में जर्मनी निर्मित राइफल बरामद की है.

पुलिस को शक, तस्करी के जरिए नक्सलियों तक पहुंचे एडवांस हथियार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस ने दावा किया है कि पहली बार उन्होंने माओवादियों के खिलाफ एक अभियान में जर्मनी निर्मित राइफल बरामद की है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि तीन मई को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद जर्मन हेक्लर और कोच (एचके) जी -3 राइफल बरामद हुई. सुकमा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने बताया कि राइफल मुठभेड़ स्थल से बरामद हुई. यह मुठभेड़ तीन मई को किस्ताराम पुलिस स्टेशन क्षेत्र के पुतपल्ली गांव में हुई थी. उन्होंने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह राइफल तस्करी कर यहां लाई गई होगी.

  1. माओवादियों के पास से जर्मनी निर्मित राइफल बरामद
  2. मुठभेड़ स्थल से बरामद की गई हैं जर्मन जी-थ्री राइफल
  3. आखिर कैसे नक्सलियों तक पहुंचे ये घातक हथियार

उपमहानिरीक्षक ( दक्षिणी बस्तर रेंज ) सुंदरराज पी ने मीडिया को बताया कि पहली नजर में यह हथियार ब्रिटेन में निर्मित सेल्फ लोडिंग राइफल (एसएलआर) लगा जिसका इस्तेमाल सुरक्षाबल करते हैं लेकिन करीबी निरीक्षण पर इसके अलग होने के बारे में जानकारी मिली. डीआईजी ने कहा, “हम इस हथियार की बारीकी से जांच करने के साथ ही इसकी भी जांच कर रहे हैं कि यह हथियार नक्सलियों के हाथ में कैसे पहुंचा.”

सुरक्षाबलों पर हमले के लिए नक्सलियों ने तैयार किए ‘रैम्बो एरो’ और ‘रॉकेट बम’

और घातक हुए नक्सली
नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर हमला करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए अपने देशी असलहे के तहत ‘रैम्बो एरो’ और ‘रॉकेट बम’ जैसे कुछ बहुत ही घातक हथियार हाल में विकसित किए हैं. वाम चरमपंथ की उभरती प्रवृतियों पर एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है. देशी बम खतरों पर संयुक्त सुरक्षा कमान की रिपोर्ट के अनुसार माओवादियों ने सुरक्षाबलों के खोजी कुत्तों को बमों का पता लगाने और अपने मास्टर को उसकी सूचना देने में चकमा देने के लिए देशी बम को गोबर में छिपाने का एक स्मार्ट तरीके का इजाद किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2017 की पहली तिमाही में कई ऐसे मौके आए जब सुरक्षाबलों के खोजी कुत्ते मारे गए या घायल हुए क्योंकि जब वे छिपे हुए देशी बम का पता लगा रहे थे तब उन्हें गोबर की बदबू से झुंझलाहट हो रही थी और इसी बीच देशी बम फट गए.’’ यहां पढ़ें, नक्सलियों के घातक हथियारों के बारे में

(इनपुट एजेंसी से)