केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पेश किया, जिसे जनता दल यूनाइटेड (JDU) का भी समर्थन मिला है.
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पटना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संसोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पेश किया, जिसे जनता दल यूनाइटेड (JDU) का भी समर्थन मिला. अब बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इस बिल को लेकर जेडीयू में एकमत नहीं है. पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने इसका विरोध किया और अब वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा (Pawan Verma) ने भी इस बिल के समर्थन पर पार्टी के स्टैंड का विरोध किया है.
पवन वर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि नागरिकता संसोधन विधेयक पर पार्टी के समर्थन पर राज्यसभा में एकबार फिर विचार करें. यह बिल गैरसंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है.'
I urge Shri Nitish Kumar to reconsider support to the #CAB in the Rajya Sabha. The Bill is unconstitutional, discriminatory, and against the unity and harmony of the country, apart from being against the secular principles of the JDU. Gandhiji would have strongly disapproved it.
— Pavan K. Varma (@PavanK_Varma) December 10, 2019
वरिष्ठ जेडीयू नेता पवन वर्मा ने इसे जेडीयू के धर्मनिरपेक्ष सिद्धातों के खिलाफ बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि गांधीजी ने इसका कड़ा विरोध किया होगा.
Disappointed to see JDU supporting #CAB that discriminates right of citizenship on the basis of religion.
It's incongruous with the party's constitution that carries the word secular thrice on the very first page and the leadership that is supposedly guided by Gandhian ideals.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 9, 2019
इससे पहले प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, 'मैं यह देखकर काफी निराश हूं कि जेडीयू नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर रही है. जो धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करती है. जेडीयू का इस बिल को समर्थन देना पार्टी के संविधान के भी खिलाफ है, जिसमें पहले ही पन्ने पर धर्मनिरपेक्षता शब्द तीन बार लिखा है. इसके अलावा यह पार्टी की लीडरशिप के भी विपरीत है जो गांधी के आदर्शों पर चलती है.'