Delhi Coaching Accident: तान्या! हम शर्मिंदा हैं
RAU Coaching Flooding: हम तान्या के साथ ही उसकी सपनों की मौत के भी गुनहगार हैं. एक छोटे से शहर की लड़की बड़े शहर में आकर अपने सपनों को पूरा करने में मगन रहती है और हमारी व्यवस्था उसे मार डालती है. आखिर तान्या का कसूर क्या था.
तान्या! हम शर्मिंदा हैं. आखिर तुम्हारा कसूर क्या था. एक छोटे शहर की लड़की एक बड़े शहर में आंखों में ढेर सारे सपने लेकर आई थी. वह उन सपनों को पूरा करने में जो बन रहा था, वो कर रही थी. पढ़ाई में तेज और होशियार तान्या को हमारी जीर्ण शीर्ण व्यवस्था ने हमसे छीन लिया. तान्या के साथ अगर यह हादसा नहीं होता तो हो सकता था कि उसका सपना पूरा होता और यूपीएससी की रिजल्ट लिस्ट में भी उसका नाम आता. पर अफसोस, अब औरंगाबाद की इस तान्या का नाम कभी इस लिस्ट में नहीं आएगा. उसका नाम मृतकों की सूची में जो आ गया है.
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जी हां, हम बात कर रहे हैं दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से हुए दर्दनाक हादसे की. मृतकों की सूची में बिहार के औरंगाबाद की तान्या का भी नाम था. तान्या औरंगाबाद के नबीनगर के शनिचर बाजार निवासी विजय सोनी की बेटी थी और राव कोचिंग सेंटर में पढ़ती थी. आईएएस बनने का सपना लिए तान्या औरंगाबाद से दिल्ली आई थी पर यहां उसे मौत मिली. हमारा शर्मिंदा होना तो बनता है.
हालांकि हमारे शर्मिंदा होने से विजय सोनी को उनकी लाडली तान्या नहीं मिल सकती पर हम अपने निकम्मेपन और बेहूदेपन पर अफसोस तो कर रही सकते हैं. हादसा हुआ भी तो कैसा हादसा हुआ. बिल्डिंग के बेसमेंट में अचानक बारिश का पानी भर जाने से लाइब्रेरी में पढ़ रही तान्या समेत 2 स्टूडेंट अपनी जान गंवा बैठे. ये कैसा हादसा है... जाहिर सी बात है कि यह मानव निर्मित हादसा है.
इधर, हादसे के बाद तान्या के पैतृक घर पर मातमी सन्नाटा पसरा है. घरवाले इस घटना पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. उनको उम्मीद है कि उनकी लाडली तान्या आएगी पर अफसोस तान्या अब कभी नहीं आएगी. अब वह अतीत का हिस्सा बन चुकी है और परिजनों के नसीब में अब उसकी यादों के सहारे ही जीना होगा.
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तान्या के चाचा अवधेश सोनी ने बताया, तान्या के साथ हुए हादसे की सूचना से परिवारवालों में कोहराम मच गया है. तान्या के दादा गोपाल प्रसाद पर तो जैसे गमों का पहाड़ टूट पड़ा है. विचलित मन से उन्होंने बताया कि तान्या घर की सबसे होनहार बेटी थी. न सिर्फ पढ़ाई लिखाई में, बल्कि सामाजिक और कला संस्कृति में भी उसने बेहतर मुकाम हासिल किया था. परिवार को उससे बड़ी उम्मीदें थीं पर उम्मीदें कभी कभी बेवफा साबित होती हैं.