Bettiah: हाथ में हुनर और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. यह बातें दिल्ली के एक फैक्ट्री में काम करने वाले प्रमोद बैठा ने सच करके दिखा दिया. सच्ची लगन कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास की बदौलत मझौलिया प्रखंड के रतनमाला पंचायत के रहने वाले प्रमोद बैठा और उनकी पत्नी ने आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश किया है.


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उन्होंने 'हर घर बिजली' योजना से अपने लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए और अब वह उधमी (Entrepreneur) बन गए है. बिहार में 'हर घर बिजली' योजना से एलईडी बल्ब (LED Bulb) की खपत बढ़ गई है. प्रमोद बैठा और उसकी पत्नी दिल्ली में एलईडी बल्ब बनाते थे. जब लॉकडाउन (Lockdown) में घर वापस आए तो एलईडी बल्ब की फैक्ट्री लगा ली. 


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आज वह उद्यमी बन गए हैं और बिना किसी सरकारी मदद के प्रमोद दर्जनों युवाओं को रोजगार दे रहे हैं. पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण की दुकानों में बल्ब की सप्लाई करते हैं और सरकारी मदद मिलने पर बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की चाहत रखते हैं. पीएम मोदी के दिए हुए मूल मंत्र आत्मनिर्भरता से यह नौजवान पंख लगा रहा है. जानकारी के अनुसार, दिल्ली में प्रमोद एलईडी बल्ब फैक्ट्री (Factory) में बतौर टेक्नीशियन काम करते थे.


लॉकडाउन के उन्होने देखा की 'हर घर बिजली' योजना से एलईडी बल्ब की खपत बहुत बढ़ गई है. यह देखकर उन्होंने अपने घर पर ही कारखाना बैठाने का मन बना लिया और इस काम में लग गए. शुरुआती दौर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा पर धीरे-धीरे सफलता मिलने लगी.  वहीं, प्रमोद ने बताया कि जब करखाना बैठाया तो पैसे की कमी थी, पर इस काम में उसकी पत्नी ने उसका साथ दिया और स्वयं सहायता समूह से 25000 रुपए का ऋण लिया. कुछ सगे संबंधी मित्रों ने भी खुले हाथ से उसे उधार दिया. इसकी बदौलत पूंजी तैयार कर उसने 3:30 लाख की लागत से एक फैक्टरी बैठा ली.


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फिलहाल प्रतिदिन प्रमोद 1000 बल्ब का उत्पादन कर रहा है. घर में पत्नी उसका साथ देती है और गांव के दर्जनों युवक इस रोजगार में लगे हुए हैं. एक बल्ब बनाने में उसको 12 रुपए की लागत आती है और मार्केट में वह बल्ब 14 से 15 रुपए में बिक जाता है. प्रति बल्ब पर प्रमोद को 2 रुपए मुनाफा होता है. वहीं, प्रमोद की पत्नी और प्रमोद को सरकारी मदद की आस है. प्रमोद ने कहा, 'जिले के मौजूदा जिला पदाधिकारी का ध्यान रोजगार सृजन पर है. परिवर्तन योजना के तहत नए-नए उद्योग लगाने पर जोर दे रहे हैं और हमें पूर्ण विश्वास है जिला पदाधिकारी हमारे कारोबार का संज्ञान लेंगे और हमें भी सरकारी मदद देंगे. मोदी जी का जो मूल मंत्र था आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar bharat), हमने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है लेकिन जरूरत है इस कारखाना को आगे बढ़ाने की ताकि हमारा उत्पादन बढ़ सके और हम ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम दे सके और और मुनाफा कमा सके.'


ये प्रधानमंत्री मोदी का मूल मंत्र ही है जो ग्रामीण क्षेत्रों में रंग ला रहा है. गरीब मजदूर भी आत्मनिर्भरता के साथ उधमी बन रहे है और नौजवान पंख लगा रहे है. जरूरत है तो ऐसे हुनरमंदों को पहचान किया जाए और इनकों सरकारी मदद दी जाए जिससे उन्हें आत्मनिर्भरता को उड़ान मिल सके. 


(इनपुट-धनंजय द्विवेदी)