ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नक्शेकदम पर चला भागलपुर का सत्यम
भागलपुर के भीखनपुर निवासी सत्यम अब तक भारत ,अलास्का, यूक्रेन समेत 14 देशों के बच्चों को पढ़ा चुके हैं. रशिया और यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन से उड़ीसा पहुंचे 100 से अधिक छात्रों को भी उन्होंने पढ़ाया था. उनके पढ़ाने के तरीके से कई छात्र विदेशों में सफल हुए है.
भागलपुर: भागलपुर के सत्यम मिश्रा ने एक साल में दो बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि हासिल की है. जहां पिछले वर्ष सत्यम मिश्रा को ग्लोबल टीचर्स प्राइस से नवाजा गया था. वहीं अब उन्हें अंतर्राष्ट्रीय फुलब्राइट स्कॉलरशिप 2022 मिला है. अमेरिका द्वारा यह स्कॉलरशिप विश्व भर में 40 लोगों को दिया जाता है. इस वर्ष चार में से एक बिहार के सत्यम मिश्रा को भी मिला है. इससे पहले यह स्कॉलरशिप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को 2005 मिला था. सत्यम ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नक्शेकदम पर चलना चाहते है.
14 देशों के बच्चों को पढ़ा चुके है सत्यम
बता दें कि भागलपुर के भीखनपुर निवासी सत्यम अब तक भारत ,अलास्का, यूक्रेन समेत 14 देशों के बच्चों को पढ़ा चुके हैं. रशिया और यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन से उड़ीसा पहुंचे 100 से अधिक छात्रों को भी उन्होंने पढ़ाया था. उनके पढ़ाने के तरीके से कई छात्र विदेशों में सफल हुए है. इस आधार पर इस वर्ष फुलब्राइट स्कॉलरशिप सत्यम को मिला. अब उन्हें चार महीने के लिए अमेरिका भेजा जाएगा. यह स्कॉलरशिप ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को 2005 मिला था. सत्यम ने बताया कि इसके लिए उन्होंने सोचा भी नहीं था हर वर्ष भारत में सिर्फ चार लोगों को ही यह मिल पाता है.
सत्यम को मिला अमेरिकन एजुकेशन फाउंडेशन का सहयोग
बता दें कि यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से यह दिया जाता है. सत्यम ने इसके लिए काफी मेहनत की थी. साथ ही बता दें कि 2019 में इसकी जानकारी तब मिली थी जब दुनिया के सबसे कठिन परीक्षा एडवांस प्लेसमेंट कैलकुलेशन के लिए छात्रों को तैयार करवा रहे थे. यह परीक्षा अमेरिका कंडक्ट कराता है. इसके लिए हमने अप्लाई किया था. अमेरिकन एजुकेशन फाउंडेशन जो इंडिया में है उसका सहयोग मिला. ऋषि सुनक को स्टैनफोर्ड में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप 2005 में मिला था और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र के लिए मिला है. काफी खुशी है 2 साल के अंदर दो अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है. सत्यम अभी मिर्जाचौकी और पोड़ैयाहाट में पढ़ा रहे हैं. वहीं सत्यम के पिता डॉ रविकांत मिश्रा ने कहा कि साल भर के अंदर दो अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि मिल पाना काफी खुशी की बात है. सत्यम इसको लेकर काफी मेहनत की थी.
इनपुट : अश्वनी कुमार