Birthday Special: बिहार में हुआ जन्म, 9 साल की उम्र में पहुंचे बनारस, भोजपुरी इंडस्ट्री में आजमाई किस्मत, आज लाखों के फेवरेट सितारे
Sanjay Mishra Birthday Special: बॉलीवुड के एक्टर संजय मिश्रा का जन्म 6 अक्टूबर 1963 को बिहार के दरभंगा में हुआ. जिसके बाद नौ साल की उम्र में वे बनारस शिफ्ट हो गए. हिंदी फिल्म उद्योग में काम करने के अलावा, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में भी अभिनय किया है.
Sanjay Mishra Birthday Special: बनारसी होना एक शब्द नहीं, संस्कार है. यही संस्कार कूट-कूट कर संजय मिश्रा में भरा है. साधारण कद-काठी और चेहरा, कैमरे के सामने असाधारण अदाकारी संजय मिश्रा को अपने दौर के कलाकारों से बेहद अलग बनाती है. बनारस में रचे-बसे संजय मिश्रा ने करियर में बुलंदियों को छुआ तो छोटे पर्दे पर भी काम करने में संकोच महसूस नहीं किया. 6 अक्टूबर 1963 को बिहार के दरभंगा में पैदा हुए संजय मिश्रा पिता के साथ कई शहर घूमे. नौ साल की उम्र में बनारस शिफ्ट हो गए.
इस शहर ने संजय मिश्रा के ना सिर्फ करियर को गढ़ा, एक इंसान के उन गुणों से भी मिलवाया, जिसे आज भी संजय मिश्रा 'सपनों की नगरी' मुंबई में ढूंढते मिल जाते हैं. जब उकता जाते हैं तो 'अजीब फैसला' भी लेते हैं. लेकिन, इसकी बात बाद में करते हैं. हिंदी फिल्म उद्योग में काम करने के अलावा, उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में भी अभिनय किया है। उनकी अब तक की एकमात्र भोजपुरी रिलीज़ रंग ली चुनरिया तेरे नाम है.
यह भी पढ़ें- क्यों सबसे अलग दिखते हैं खेसारी लाल यादव? ये भक्ति सॉन्ग बताने के लिए काफी
संजय मिश्रा को फिल्मों के जरिए समझना नामुमकिन है. एक किरदार में ढल जाना अदाकारी है, इसमें उन्हें महारत हासिल है. लेकिन, उनकी बातें, जीवन जीने का नजरिया और खुद को खोजने की यात्रा किसी फिलॉस्फर से कम नहीं है. सिल्वर स्क्रीन पर संजय मिश्रा की आंखें कुछ खोजती हैं. शायद, कहती हैं कि आपको उसका पता चले तो हौले से उनके कान में कह देना. संजय मिश्रा ने एक लंबा दौर देखा. 1991 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से एक्टिंग का कोर्स किया और 'सपनों की नगरी' मुंबई में एक बड़ा नाम बनने का सफर शुरू किया. छोटा पर्दा करियर की शुरुआत में मददगार बना. फिर, 'दिल से', 'बंटी और बबली', 'अपना सपना मनी मनी', 'आंखों देखी', 'मिस टनकपुर हाजिर हो', 'प्रेम रतन धन पायो', 'मेरठिया गैंगस्टर्स' जैसी फिल्मों में दिखे.
उन्हें 'आंखों देखी' के लिए खूब वाहवाही मिली. 'फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर क्रिटिक्स' का अवार्ड भी मिला. लेकिन, खुद को खोजने की यात्रा जारी रही. पिता के निधन से टूट चुके संजय मिश्रा ने एक्टिंग से मुंह मोड़ लिया, ढाबे पर काम करने लग गए थे. किस्मत की करामात कहिए या बॉलीवुड में उनकी फाइन-एक्टिंग की दीवानगी, एक बार फिर वापसी की और रुपहले पर्दे के ध्रुव तारा बन गए.
संजय मिश्रा को समझना हो तो फिल्म 'मसान' देखिए. बनारस के बैकड्रॉप में फिल्म की शूटिंग, अलहदा कहानी और संवाद, इस फिल्म का चार्म या यूं कहें आत्मा, तो, वह संजय मिश्रा के जरिए है. एक बाप, लोक-लाज को समेटते हुए, बेटी के लिए ना जाने क्या-क्या त्याग करने वाला लाचार सा दिखता पिता, जीवन की उन परतों को उधेड़ कर एक्टिंग के रूप में पर्दे पर उकेर देता है, भरोसा ही नहीं होता. संजय मिश्रा मुंबई जैसे भागमभाग वाले शहर में खुद को खोज रहे हैं. खुद को समझने की कोशिश कर रहे हैं. एक इंसान से दूसरे इंसान के रिश्ते को समझना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें- Bhojpuri News: निरहुआ ने मधु शर्मा को दिया 'कोरवा के सुख', देखिए तस्वीरें
मानवीय रिश्तों और उसमें लिपटी जरूरतों, चुनौतियों, उलझनों को सुलझाने में जुटे हैं. कहीं ना कहीं संजय मिश्रा इस सफर से उकता गए और जिस मुंबई में बड़ा नाम बनने के लिए कड़ी मेहनत की, उसी 'सपनों की नगरी' के मोह से खुद को मुक्त कर लिया. कुछ दिनों पहले खबर आई कि संजय मिश्रा ने मुंबई से करीब 140 किलोमीटर दूर लोनावला में नया ठिकाना बनाया है. कुटिया जैसा छोटा घर है तो साग-सब्जी उगाने की व्यवस्था भी. शूटिंग नहीं कर रहे होते हैं, तो, वह अपनी इसी दुनिया से लिपट जाते हैं.
यह दुनिया खुद को कहीं ना कहीं बनारस से जोड़ने की कोशिश है तो अपने अंदर के ठेठ देहाती इंसान से मुलाकात करने की शिद्दत भी. संजय मिश्रा सितार बजाना चाहते हैं. मौका ढूंढ रहे तारों को झकझोर कर संगीत के सुरों में 'सारेगामा' को पिरोने की. आज के दौर के कलाकारों या युवाओं के लिए संजय मिश्रा एक फिलॉस्फर या गाइड के जैसे हैं. वह खुद को खोजने की यात्रा की सीख देते हैं. वह तमाम चकाचौंध के बीच अपने अंदर के गांव को जिंदा रखने की जद्दोजहद में जुटे रहने की सलाह देते हैं.
फिल्मों से इतर संजय मिश्रा ने जिंदगी के हर रंग, हर रूप, हर स्थिति में 'नो फिल्टर लाइफ' को जीने की कला सीख ली है और 'परफेक्शनिस्ट' बनने के रास्ते पर बढ़ रहे हैं. शायद, वह कहना चाहते हैं, "नाचे होके फिरकी लट्टू, खोजे अपनी धुरी रे, मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे, बात हुई ना पूरी रे...."
इनपुट- आईएएनएस के साथ
बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi हर पल की जानकारी . बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!