पंचायत की अनोखी पहल: नशा करते पकड़े जाने पर 51000 का जुर्माना, गांव से जाएगा निकाला
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पंचायत की अनोखी पहल: नशा करते पकड़े जाने पर 51000 का जुर्माना, गांव से जाएगा निकाला

इस पंचायत के फरमान के साथ साथ अब महिलाएं भी हाथों में झाड़ू डंडा लेकर इस अभियान से जुड़ गई हैैं और नशा मुक्ति के मुहिम को आगे बढा रही है.

पंचायत की अनोखी पहल: नशा करते पकड़े जाने पर 51000 का जुर्माना, गांव से जाएगा निकाला

नई दिल्ली: एक तरफ बिहार सरकार नशे के खिलाफ महिम चला रही है तो दूसरी ओर नशे के खिलाफ आम जनता भी अपनी सहभागिता निभाते दिख रहे हैं. सरकार एक तरफ नशे के खिलाफ अधिकारियों पर नकेल कसने के साथ साथ नशा मुक्ति के लिए अभियान चला रही है. ये तस्वीरें है बिहार के जिला समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड के सबसे पिछड़ा सुदूर इलाके में बसा भादो घाट गांव का जहां गांव को नशे से छुटकारा दिलाने के लिए के लिए पंचायत का आयोजन हुआ. नशा करने और पकडे जाने पर 51000 रूपए का जुर्माने का फैसला सुना दिया.

वारिसनगर  प्रखंड के सबसे पिछड़ा सुदूर इलाके में बसा भादो घाट गांव जंहा के लोग शराब बंदी कानून के बाबजूद नशे का भरपूर उपयोग कर रहे थे. गांव में नशे के बढ़ते कारोबार और सेवन करने वालों पर नकेल कसने के लिए गावं के कुछ बुद्धिजीवी और युवाओ ने अभियान शुरू किया है. गांव में पंचायत के जरिये नशे के सेवन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है.

अगर गावं के लोग नशा करते या नशा का सामान बेचते पकडे गए तो न सिर्फ उन्हें 51000 रूपये के आर्थिक दंड दिया जायेगा बल्कि उसे गांव से भी बहिष्कृत कर दिया जायेगा. इस अभियान का नेतृत्व कर रहे शंकर चौधरी का कहना है की समाज में नशा के कारण जो बर्बादी हो रही थी इसको रोकने के लिए सरकार ने नशा मुक्ति के लिए कानून बनाया गया.

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लेकिन इस कानून का ग्रामीण क्षेत्रो में असर कम दिख रहा था. काफी संख्या में लोग आज भी नशा का सेवन कर रहे थे. जिसके बाद गांव के कुछ बुद्धिजीवियों और युवाओं ने अभियान शुरू किया. ताकि अपने गांव को पूरी तरह नशा मुक्त कर सके.नशा को लेकर ग्रामीण स्तर पर शुरू किये गए इस अभियान में युवाओ के साथ साथ महिलाये भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है.

महिलाओ का कहना है की सरकार के द्वारा कानून जरूर बना दिया गया ,लेकिन गांव में इसका असर नहीं दिख रहा है. लोग धरल्ले से नशा का कारोबार और सेवन कर रहे है. जिसका समाज और परिवार पर बुरा असर पड़ रहा है. इस पंचायत के फरमान के साथ साथ अब महिलाएं भी हाथों में झाड़ू डंडा लेकर इस अभियान से जुड़ गई हैैं और नशा मुक्ति के मुहिम को आगे बढा रही है.

संध्या देवी ,ग्रामीण महिला ने बताया कि गांव के लोगों के नशा करने से समाज और परिवार पर बुरा असर पडता है ..नशा मुक्ति के लिए ये सराहनीय कदम है इस फैसले के साथ हम महिलाएं भी नशे को खत्म करने के लिए अग्रसर है. सरकार ने शराब बंदी के लिए कानून तो बनाया लेकिन सख्ती से पालन नही हो रहा है.

चाहे हमारा पति हो या बेटा अगर शराब पीने पर नही बख्शा जाएगा. एक तरफ जहा बिहार में  में शराब बंदी कानून की धज्जिया उड़ रही है वही ग्रामीणों के द्वारा पंचायत में फरमान जारी कर इस नशा मुक्ति अभियान को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जरुरत है सिस्टम में बैठे लोगो को इस कानून पर सख्त कार्रवाई करने की ताकि सरकार का यह अभियान पूर्ण रूप से सफल हो सके.