नई दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण के मुद्दे पर बयान दिया है. उन्होंने कर्पूरी ठाकुर जयंती के मौके पर कहा कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी ही रहे यह जरूरी नही है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियों/जातियों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या में वृद्धि हुई है. वहीं, नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया है.


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सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जातिगत जनगणना के आधार पर कई समस्याएं दूर हो सकती है. अगर जातिगत जनगणना होगा तो बदलाव होगा और आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ सकता है. हमारे पास अब तक एक मात्र 1931 का डेटा है. ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा समाधान जाति आधारित जनगणना है. इसे किया जाना चाहिए. इससे सारी चीजें स्पष्ट हो जाएगी.


वहीं, नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि बिहार की तरह अतिपिछड़ा आरक्षण देश में लागू होन चाहिए. बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग को दो श्रेणियों अत्यंत पिछड़ा और अति पिछड़ा में बांटा गया है. केंद्र को भी ईबीसी और ओबीसी प्रणाली अपनानी चाहिए.



नीतीश कुमार ने यहां यह भी कहा कि कुछ लोग सवर्ण आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने ऐसे लोगों से बचने को कहा. उन्होंने कहा सवर्ण आरक्षण मिलने के बाद पहले से मिल रहे किसी भी आरक्षण पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.


इस मौके पर नीतीश कुमार ने सरकार की नई योजनाओं को बारे में भी बताया. उन्होंने कहा जो गरीब लोग पढ़ाई छोड़ देते हैं उनके लिए योजना बनाई गई है. बिहार में नई योजना के तहत यूपीएससी का पीटी पास करने पर गरीबों को 1 लाख रुपये मिलेगा.


वहीं, नीतीश कुमार ने अपने विरोधियों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लोग समाज में एक दूसरे के प्रति घृणा फैला रहे हैं. समाज में तनाफ फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें यह पता होना चाहिए की नीतीश कुमार वोट के लिए चिंता नहीं करता है बल्कि अपना काम करना जानता है.