पटनाः बिहार में अब 5वीं पास भी प्रोफेसर बन सकेंगे. यह खबर हैरान करनेवाली है लेकिन यह हकीकत है. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई है. जिसमें 30 सालों तक मिथिला पेंटिंग में अपना योगदान दे चुके कलाकारों को यह मौका मिलेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सलाहकार अंजनी कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है कि जल्द ही सरकार फैसले पर मुहर लगाएगी. जिससे बिहार के कलाकारों की किस्मत बदल जाएगी. 


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मिथिला पेंटिंग से जुड़े कलाकारों के लिए एक अच्छी खबर है. सरकार जल्द ही उन्हें प्रोफेसर का दर्जा देने जा रही है.  इस फैसले का लाभ वैसे कलाकारों को मिलेगा जिन्होंने मिथिला पेंटिंग्स में अपने तीस सालों या उसके आसपास का योगदान दे दिया हो या मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में कोई राष्ट्रीय उपलब्धि हासिल की हो. मुख्यमंत्री के सलाहकार अजनी कुमार सिंह ने इस बात की घोषणा की है. 


दरअसल पटना में शनिवार को हस्तशिल्प के विकास में डिज़ाइन के महत्व विषय पर परिसंवाद सह कार्यशाला का आयोजन किया गया. दो दिनों के परिसंवाद कार्यशाला में स्थानीय लोक कला से जुडे कलाकारों को प्रशिक्षित किया जाएगा. उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, उद्योग विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में देश के जाने माने डिजायनर और विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं. 


कार्यक्रम का उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री के सलाहकार अंजनि कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछले ही साल 4 करोड़ की मिथिला पेंटिंग्स गिफ्ट के तौर पर अपने अतिथियों को दी है. सरकार की कोशिश है कि इस परंपरा को सरकारी महकमों के लिए जरुरी कर दिया जाए ताकि मिथिला पेंटिंग्स के कलाकारों को उचित सम्मान मिल सके. लेकिन इसके लिए मिथिला पेटिंग्स से जुडे कलाकारों को समय और बाजार कि डिमांड के साथ अपने डिजाइन में भी बदलाव लाना होगा.


अंजनी सिंह ने कहा कि आज की मिथिला पेंटिग्स शुरुआती मिथिला पेंटिंग्स से बिलकुल अलग है क्योंकि समय और जरुरत के साथ इसमें बदलाव हुए हैं. इसलिए ये जरुरी है कि हस्तकला के विकास के लिए इसके डिजाईन में समय के साथ बदलवा बदलाव हो. 


अंजनी सिंह ने कहा कि पटना का बिहार म्यूजियम खुद बेहतरीन डिजाईन का बडा उदाहरण है. नए डिजाइन का मतलब किसी भी चीज की उपयोगिता को बढाना है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उससे जुड सकें. हमें मिथिला पेटिंग्स और टिकुली पेंटिंग्स में भी बदलवा लाने की जरुरत है. साथ ही इसके बेहतरीन पैकेजिंग को भी डेवलप करने की जरुरत है. ताकि हम अपने प्रोडक्ट्स को बिहार से बाहर आसानी से भेज सकें. मुख्यमंत्री के सलाहकार ने कहा कि बिहार में फैक्ट्री लगाना संभव नहीं इसलिए हमें अपनी इन्हीं कलाकृतियों के जरिये आगे बढना होगा और रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. 


कार्यक्रम में मौजूद नेश्नल स्कूल ऑफ डिजाईन के प्रोफेसर मिहिर भोले ने भी क्राफ्ट के साथ डिजाईन की अहमियत पर प्रकाश डाले. मिहीर भोले ने कहा कि क्राफ्ट हमारी परंपराओं से जुडी हुई हैं. यूजर की डमांड के अनुसार डिजाईन और क्राफ्ट में भी बदलाव जरुरी होता है. हमें मार्केट की जरुरतों को समझना होगा. मार्केट के हिसाब से ही तकनीक डिजाईन को अपनाना होगा. इस पूरे मामले को वैश्विक स्तर तक देखने की जरुरत है. साथ ही प्रतिभाओं को और ज्यादा जागरुक करने की अहमियत को भी समझना होगा. मिहिर भोले ने कहा कि बिहार का उपेन्द्र महारथी शिल्प संस्थान देश का पहला संस्थान है जिसने डिजाईन को लेकर शुरुआत की. लेकिन बाद के दिनों में हम संस्थान की उपयोगिता को समझ नहीं सके. हलांकि अब काफी सुधार हुआ है उम्मीद है कि अब इस ओर और सार्थक कदम बढ़ेंगे.    


कार्यक्रम में मौजूद पटना एन कॉलेज की वाईस प्रिंसिपल पूर्णिमा शेखर सिंह ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने विचार रखे. पूर्णिमा शेखर सिंह ने कहा कि कलाकार अपनी कला को केवल जीवन यापन तक ही सीमित नहीं. इसे अपनी सोसायटी और राज्य के सम्मान के साथ जोडकर देखें. क्राफ्ट और डिजाईन में अन्योन्याश्रय संबंध होता है. बिना डिजाइन के क्राफ्ट की अहमियत कम हो जाती है. एक क्राफ्टमैन को ये समझना होगा कि क्राफ्ट केवल कमर्शियल ओरिएंटेड नहीं है बल्कि इसके आयाम काफी बडे हैं. क्राफ्टमैन को अपने क्राफ्ट के प्रति ईमानदार होने की जरुरत है. साथ ही क्वाईलिटी से समझौता न करना पडे ये भी ध्यान देने की जरुरत है.  


क्रार्यक्रम के दौरान देश की जानी मानी डिजाइनर आनंदी दसराज, चारु स्मिता गुप्ता ने भी अपने विचार रखे. दो दिनों तक चलनेवाले वर्कशाप में एक्सपर्ट बिहार के हस्तशिल्प कलाकारों को डिजाईन के क्षेत्र में प्रशिक्षण भी देंगे.