पटनाः बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने यहां शुक्रवार को कहा कि भारतीय संस्कृति पर्यावरण के संतुलन और शुद्घि के प्रति शुरू से ही सजग, सचेत रही है. वैदिक ऋचा में पृथ्वी को माता और मनुष्य को उसका पुत्र कहा गया है. प्रकृति के साथ मनुष्य के रागात्मक रिश्ते और साहचर्य को सम्पूर्ण वैदिक वांगमय में पर्याप्त सम्मान मिला है.


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राज्यपाल टंडन ने राजभवन में डॉ़ ध्रुव कुमार की लिखी पुस्तक 'बौद्ध धर्म और पर्यावरण' को लोकार्पित करते हुए कहा कि आज पर्यावरण संतुलन पर विभिन्न तरह के खतरे मंडराने लगे हैं.



राज्यपाल ने कहा, "यत पिंडे तत् ब्रह्माण्डे' की भावना से प्रेरित भारतीय मनीषा और चिन्तन-धारा ने सम्पूर्ण प्रकृति और मनुष्य के निकट संबंध को पूरी संवेदनशीलता के साथ ग्रहण किया है. बौद्ध धर्म भी प्रकृति के साथ मनुष्य की सन्निकटता का सार्थक संदेश देने वाला एक प्रेरणादायी पथ प्रदर्शक है." 


दुनिया में जल संकट पर चिंता प्रकट करते हुए राज्यपाल ने कहा कि दुनिया के सामने सबसे बड़ा आगामी संकट 'जल' को ही लेकर आन ेवाला है.


राज्यपाल ने कहा, "भगवान बुद्ध के जीवन चरित्र से भी हमें प्रकृति के साथ अपनी निकटता बरकरार रखने की प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध को संबोधि पावन पीपल वृक्ष के नीचे मिली."


कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध जब पाटलिपुत्र आए थे तो उन्होंने आग और पानी से इस शहर को सबसे बड़ा खतरा बताया था. प्रो़ सिंह ने संपूर्ण बौद्ध धर्म को प्राकृतिक संचेतना से जुड़ा धर्म बताया. 


इस मौके पर लेखक डॉ़ ध्रुव कुमार ने बौद्ध धर्म की प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को व्यापक संदर्भो में रेखांकित किया. 


कार्यक्रम में स्वागत-भाषण प्रभात प्रकाशन के डॉ. पीयूष कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद-ज्ञापन राज्यपाल के आप्त सचिव संजय चौधरी ने किया.