Bihar Politics: मौका, माहौल और मजबूरी, बिहार में एक बार फिर इफ्तार पार्टी के जरिए होगा खेला!
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Bihar Politics: मौका, माहौल और मजबूरी, बिहार में एक बार फिर इफ्तार पार्टी के जरिए होगा खेला!

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद यह पहला मौका होगा, जब पूरा परिवार एक साथ होगा और तमाम पार्टियों के राजनेताओं से मुलाकात करेगा.

 

राजद की इफ्तार पार्टी

Bihar Iftar Party Politics: रमजान के पाक महीने में बिहार के राजनेताओं की ओर से इफ्तार पार्टी का दौर शुरू हो चुका है. हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे, जिसे लेकर राजनीति का बाजार अभी तक गरम है. अब सरकार में सहयोगी राजद की ओर से भी इफ्तार दावत का आयोजन किया जा रहा है. लालू परिवार की ओर से इफ्तार पार्टी का आयोजन राबड़ी आवास पर किया जाएगा. 

 

इस दावत का इंतजाम 13 अप्रैल को किया जा रहा है. इसमें कई पार्टियों के नेताओं को बुलाया जाएगा. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद यह पहला मौका होगा, जब पूरा परिवार एक साथ होगा और तमाम पार्टियों के राजनेताओं से मुलाकात करेगा. राबड़ी आवास पर इफ्तार पार्टी का नाम सुनते ही अचानक से 2021 की इफ्तार दावत की यादें ताजा हो जाती हैं. 

फिर से इफ्तार पार्टी में होगा खेला?

पिछले साल राबड़ी आवास पर हुई इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई दलों के नेता शामिल हुए थे. इस दावत में ही लालू और नीतीश के बीच ऐसी खिचड़ी पकी कि प्रदेश की राजनीति में पूरे 360 डिग्री का फेरबदल हो गया था और बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया गया था. अब एक बार फिर से उसी तरह के संयोग बन रहे हैं. नीतीश कुमार एक बार फिर से अपने ही सहयोगियों से छटपटा रहे हैं. 

नीतीश की इमेज को हो रहा नुकसान

जानकारी के मुताबिक, हाल-फिलहाल की घटनाओं से उनकी इमेज को काफी नुकसान हो रहा है और वह खुद पर दबाव महसूस करने लगे हैं. बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं और यह सबकुछ लोकसभा चुनाव से पहले ही हो जाएगा. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार को लगने लगा है कि इन परिस्थितियों और ऐसे साझीदारों के साथ दिल्ली पहुंचना बड़ा मुश्किल है. 

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सही मौके की तलाश में हैं नीतीश!

राजनीतिक गलियारों के मुताबिक, यही कारण है कि बिहार हिंसा पर अमित शाह की ओर से इतने मुखर होने के बाद भी नीतीश कुमार की ओर से सीधा हमला नहीं बोला जा रहा है. इन तमाम बातों को देखते हुए लगता है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से मौका, माहौल और मजबूरी तीनों का संयोग तलाश रहे हैं.