तार किशोर प्रसाद ने कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दौर में बिहार ने जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम के तहत मौसम के अनुकूल कृषि के लिए कार्यक्रम तय किए हैं, जिससे इस क्षेत्र में नया आयाम कायम होगा
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पटना: जल-जीवन-हरियाली के तहत नेक संवाद में आयोजित जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिहार के उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के दौर में बिहार ने जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम के तहत मौसम के अनुकूल कृषि के लिए कार्यक्रम तय किए हैं, जिससे इस क्षेत्र में नया आयाम कायम होगा और बिहार कृषि के क्षेत्र में नई इबारत लिखेगा.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के वैश्विक चिंता के इस दौर में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अनूठी पहल करते हुए जल-जीवन-हरियाली (Jal Jeevan Hariyali) कार्यक्रम को बिहार के अंदर लागू किया जिसके सकारात्मक परिणाम मिले हैं. आज इस कार्यक्रम के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से राज्य के कृषि को इसके अनुकूल विकसित करने के लिए राज्य के 30 जिलों में पहले वर्ष के कार्यक्रम एवं आठ जिलों में दूसरे वर्ष के कार्यक्रम के साथ कृषि विज्ञान केंद्र में जलवायु के अनुकूल कृषि तकनीक का सजीव प्रदर्शन किया गया है. उन्होंने शुभकामना देते हुए कहा कि निश्चित रूप से इस कार्यक्रम का लाभ बिहार के सभी किसानों को मिलेगा एवं बिहार कृषि के क्षेत्र में नई इबारत लिखेगा.
इसके पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जल-जीवन-हरियाली के तहत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया. मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि जलवायु परिवर्तन के विश्वव्यापी समस्या के इस दौर में मौसम अनुकूल खेती से किसानों को लाभ होगा. उन्होंने इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करने हेतु व्यापक कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया. साथ ही कहा कि फसलों के अवशेष को किसान खेतों में न जलाएं. इसके लिए उन्हें प्रेरित एवं जागरूक किया जाए.
गौरतलब है कि जल-जीवन- हरियाली के तहत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत मौसम के अनुकूल फसल चक्र, मौसम के अनुकूल फसल प्रभेद, फसल अवशेष का खेतों में ही उपयोग, नई बुआई तकनीक का उपयोग, किसानों को प्रशिक्षण इत्यादि अन्यान्य विषयों पर व्यापक चर्चा की गई एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े विभिन्न कृषि संस्थानों, सभी जिला पदाधिकारियों, कृषि विभाग के अधिकारियों, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, तकनीकी पदाधिकारी एवं कृषकों को जानकारी दी गई.