खुद को साबित करने के लिए लगाई 1200 किलोमीटर की दौड़, वैशाली से पहुंचा दिल्ली
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खुद को साबित करने के लिए लगाई 1200 किलोमीटर की दौड़, वैशाली से पहुंचा दिल्ली

मोहम्मद परवेज वैशाली से दौड़ते हुए 7 दिनों के अंदर दिल्ली आ पहुंचे. उनके दोस्त मोहम्मद रहमत अंसारी ने उनका बखूबी साथ निभाते हुए यह दूरी साइकिल से तय की है.

दौड़कर तय किया वैशाली से दिल्ली तक का सफर.

स्वप्निल/नई दिल्लीः हौसले बुलंद हो नामुमकिन कुछ भी नहीं इस बात को सच कर दिखाया है, वैशाली की मोहम्मद परवेज और उसके दोस्त मोहम्मद रहमत अंसारी ने मोहम्मद परवेज वैशाली से दौड़ते हुए 7 दिनों के अंदर दिल्ली आ पहुंचे. उनके दोस्त मोहम्मद रहमत अंसारी ने उनका बखूबी साथ निभाते हुए यह दूरी साइकिल से तय की है.

बिहार के जन्दाहा से दिल्ली के इंडिया गेट की दूरी मोहम्मद परवेज उर्फ टाइगर ने 7 दिनों में तय की है. वह एक दिन में 100 किलोमीटर से अधिक दौड़ लगाता है. वैशाली जंदाहा से दौर शुरू की तो प्रमाण के तौर पर इसके पिता अलग-अलग क्षेत्रों के थानाध्यक्ष और पुलिस के पदाधिकारियों से मोहर लगवा कर लिया मोहम्मद परवेज के साथ कदम से कदम मिलाकर उनकी हौसला अफजाई करते रहे. मोहम्मद रहमत जिन्होंने यह दूरी साईकिल के जरिये तय की है.

मोहम्मद परवेज मिल्खा सिंह इंप्रेशन लेते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को दिखाना चाहते है. प्रवेश और टाइगर का चुनाव श्रीलंका में होने वाले मैराथन के लिए हुआ था, लेकिन समय पर पासपोर्ट ना बन पाने और आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका नहीं जा सके. परवेज की प्रबल इच्छा है कि उन्हें सरकार मदद करें ताकि वो देश का नाम रोशन कर सकें.

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दोस्त के साथ साइकिल पर तय किया वैशाली से दिल्ली का सफर

मोहम्मद परवेज के पिता लगातार अपने बेटे के साथ हौसला बढ़ाते रहें ताकि उनका बेटा अपनी मंजिल को पूरी कर सके रास्ते में कहीं बैठे का धैर्य ना टूट जाए इसलिए पिता ने अपनी भूमिका बखूबी निभायी. पिता मोहम्मद अब्दुल मदीना को इस बात का अफसोस जरूर है उनका बेटा श्रीलंका में होने वाली मैराथन में शामिल नहीं हो पाए. लेकिन उन्होंने इस बात का भी भरोसा जताया क़ी zee मीडिया के माध्यम से खबर के सामने आने के बाद सरकार संस्थाएं जरूर लगेगी और उनके बेटे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा.

मोहम्मद परवेज के पिता ने स्थानीय तौर पर कई बार अपने बेटे को मदद दिलाने का प्रयास किया लेकिन उस स्तर पर मदद नहीं मिल पाई जिससे मोहम्मद परवेज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैराथन में हिस्सा ले पाये।

मोहम्मद परवेज के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे मोहम्मद रहमत जो की कक्षा ग्यारहवीं के छात्र हैं उनका कहना है उन्होंने साइकिल से यह दूरी इसलिए ताकि ताकि उनके दोस्त को उनकी मदद मिल पाए साथी मोहम्मद रहमत मदीना खेल के क्षेत्र में खुद को आगे बढ़ाना चाहते हैं इसके लिए उन्होंने साइकिलिंग को माध्यम बनाया. रहमत के मुताबिक उनका दोस्त प्रवेश शुरू से दौड़ना चाहता था, और वह खुद साइकिलिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं.