पटना:AIMIM: साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल की पांच सीटों पर कब्जा करके आरजेडी के एमवाई समाकरण को बड़ा झटका दिया था. एआईएमआईएम मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी जड़ भी मजबूत कर ली थी. जिसके बाद आरजेडी ने बीते दिनों एआईएमआईएम के चार विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करके ना सिर्फ AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी को बड़ा झटका दिया बल्कि AIMIM को बिहार के राजनीति में जड़ से उखाड़ फेंका है. AIMIM में के चार विधायकों के आरजेडी में शामिल होने के बाद अब राजनीति तेज हो गई है. विधायकों ने पार्टी छोड़ने का सारा ठिकरा AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान के माथे फोड़ा है. जबकि AIMIM के विधायक कमरुल हुदा ने तो पार्टी का पोल खोलकर नया विवाद खड़ा कर दिया.


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सीमांचल की पांच सीटों पर कब्जा
AIMIM के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान जो सीमांचल के गांधी स्वर्गीय तस्लीमुद्दीन का राजनीति शिष्य है. अख्तरुल ईमान ने राजद से इस्तीफा देने के बाद 2015 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को बिहार में लाया था. 2019 में बिहार विधानसभा उपचुनाव में किशनगंज सीट पर AIMIM के उम्मीदवार कमरुल होदा ने पहला खाता खोला. उसके बाद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल के पांच सीटों पर कब्जा किया. जदयू के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने कहा जैसे करनी वैसी भरनी. जिस प्रकार अख्तरुल ईमान ने लोक सभा चुनाव में जदयू को धोखा दिया था, उसी के चार चार विधायकों ने उसे रिटर्न्स गिफ्ट के तौर पर दिया. जिसके जवाब में अख्तरुल ने कहा कि भाजपा को जीत से रोकने के लिए ऐसा कदम लोगों के हित को देखते हुए उठाना पड़ा.


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RJD ने दिया AIMIM और BJP को झटका 
बिहार राजनीति में ओवैसी का पार्टी की एंट्री से सबसे ज्यादा नुकसान राजद को हो रहा था, क्योंकि एआईएमआईएम भाजपा का डर दिखाकर मुसलमानों का वोटों को अपने पक्ष में कर रहा था. दूसरी तरफ भाजपा को भी मुस्लिम वोट ध्रुवीकरण में AIMIM का साथ मिल रहा था. जिसके बाद राजद ने ऐसा चाल चला कि दोनों दलों को झटका लगा. भाजपा एमएलसी डॉ दिलीप कुमार जायसवाल अब मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक लुभावन बातें कर रहे है. अब ऐसे में बिहार की राजनीति में भाजपा और राजद का अगला नया चाल क्या होगा, इसे जानने के लिए इंतजार करना पड़ेगा.


इनपुट- अमित कुमार सिंह