बिहार में `गुलाब` और पोस्ट मानसून का कहर जारी, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने 5 अक्टूबर तक जोरदार बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है. इसका असर अब बिहार के मुजफ्फरपुर, नालंदा और जहानाबाद में देखने को मिल रहा है.
Patna: बिहार में एक बार फिर से मौसम का मिजाज बदला हुआ है, 'गुलाब' (Cyclone Gulab) के साथ पोस्ट मॉनसून की चपेट में पूरा बिहार आ गया है. मॉनसून तो 30 सितंबर को खत्म हो गया वहीं एक अक्टूबर से पोस्ट मॉनसून का प्रभाव शुरू हो गया, लेकिन इसके लौटने की शुरूआत नहीं हुई, हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने 5 अक्टूबर तक जोरदार बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है. इसका असर अब बिहार के मुजफ्फरपुर, नालंदा और जहानाबाद में देखने को मिल रहा है.
बिहार में 'गुलाब' और पोस्ट मॉनसून के कॉकटेल ने मौसम का मिजाज ही बदल दिया है. कई जिलों में जोरदार बारिश के कारण पूरा का पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. शहर की सूरत बिगड़ गई है तो गली मोहल्लों से लेकर चौक चौराहे सब डूब गए हैं.
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बारिश के पानी में तैर रहे शहर के गली-मोहल्ले
दरअसल, मुजफ्फरपुर शहर को स्मार्ट सिटी (Smart City) में शामिल किया गया लेकिन यह शहर खुद ही जलजमाव (Water-Logging) से जूझ रहा है. बाजार हो या गली-मोहल्ले बारिश के पानी में तैर रहे हैं. मिठनपुरा, बीबीगंज,कल्याणी चौक, मोतीझील, स्टेशन रोड, पंकज मार्केट रोड आदि जलजमाव से पूरी तरह प्रभावित हैं. सबसे बुरा हाल तो सदर अस्पताल का हो रखा है, यहां पूरा का पूरा कैंपस पानी में डूबा है, स्टाफ से लेकर मरीज और तीमारदार सब परेशान हैं.
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक नरेश कुमार चौधरी ने बताया कि निगम प्रशासन भरोसा दिया था कि जलजमाव नहीं होगा लेकिन एक दिन की बारिश (Bihar Rain) ने ही निगम प्रशासन की पोल खोलकर रख दी है.
जल निकासी की व्यवस्था नहीं
कहने को तो मुजफ्फरपुर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि इस तथाकथित स्मार्ट सिटी में जल निकासी की व्यवस्था पर कोई काम नहीं हुआ. जो काम हुआ, उसमें भी मनमानी की गई. यही कारण है कि शहर इस समय जलजमाव की समस्या झेल रहा. 47 वर्ष पूर्व बने ड्रेनेज सिस्टम के भरोसे पानी निकलता नहीं और लोग समस्या झेलने को मजबूर है. शहर का पानी निकालने के लिए वर्ष 1974 में फरदो नाले का निर्माण हुआ था. लेकिन इस नाले पर अतिक्रमण कर लिया गया है. इससे इसकी ठीक से सफाई नहीं हो पाती है.
वहीं, दूसरी तरफ शहर के उत्तरी भाग का पानी निकालने के लिए वर्ष 1975 में कल्याणी चौक से चपरा पुल, गरीबस्थान, गोलाबांध रोड होते हुए बालूघाट स्लूस गेट तक मुख्य नाले का निर्माण कराया गया था जिसका पानी गंडक नदी में गिरता था. इस नाले को भी लोगों ने कूड़ा डालकर भर दिया है. दूसरी ओर शहर का क्षेत्रफल बढऩे के साथ आबादी बढ़ी ऐसे में जल निकासी के लिए बने दोनों नाले कारगर नहीं हैं.
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मॉनसून ने नालंदा और जहानाबाद को पानी-पानी किया
बिहार में एक बार फिर से मौसम का मिजाज बदला हुआ है, 'गुलाब' और पोस्ट मॉनसून के कॉकटेल ने जहानाबाद और नालंदा को भी पानी-पानी कर दिया है. एक तरफ जहानाबाद के नेतौल ब्रांच नहर का पानी हाइवे पर चढ़ गया है तो दूसरी तरफ काको प्रखंड के पाली मोड़ पर दो दिनों से नहर का पानी हाइवे पर है. वहीं, लगातार बारिश की वजह से नालंदा में पंचाने नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है जिसके कारण खासकर बिहार शरीफ का इलाका जलमग्न हो गया है. दूसरी तरफ बाढ़ की वजह से बिंद गांव में जिराइन नदी पर बना बांध भी टूट गया और पानी गांव में फैलने लगा. यही हाल सोह सराय की सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है नदी का पानी अब सड़क पर बह रहा है.
(इनपुट-मनोज कुमार/ शैलेंद्र कुमार)