पटना: Navratri Neel Saraswati Puja:चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में चैत्र नवरात्र का पर्व बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. बसंत ऋतु के गमन के साथ देवी दुर्गा की आराधना के ये पर्व देवी शक्ति के प्राकट्य के तौर पर भी मनाए जाते हैं. देवी के दस महाविद्यास्वरूप हैं, इसके अलावा नवदुर्गा स्वरूप की पूजा की ही जाती है. त्रिदेवियों में देवी सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली हैं. ये तीनों भी मां दुर्गा के विराट स्वरूप देवी भुवनेश्वरी के ही अंश हैं. इनमें देवी सरस्वती ज्ञान का प्रतीक हैं. उन्हीं का एक स्वरूप है नील सरस्वती. नील सरस्वती, रहस्य विद्या, मायाजाल और इंद्रजाल की देवी हैं. 


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इसके अलावा संसार में जो योगमाया हैं वह भी उन्हीं का रूप हैं. कम ही लोग नील सरस्वती के पूजन के बारे में जानते होंगे. जहां एक ओर मां सरस्वती को सुर, ज्ञान और कला में निपुण माना जाता है, वहीं दूसरी ओर नील सरस्वती को धन-धान्य की देवी भी कहते हैं. बसंत पंचमी में देवी की विशेष पूजा की जाती है, लेकिन चैत्र नवरात्र का समय इनकी पूजा का सही समय होता है. असल में नवरात्र में देवी की पूजा महाविद्या स्वरूप में की जाती है. 


नील सरस्वती की मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती को धन-संपन्न की अधिष्ठात्री देवी होने का वरदान दिया था. इससे उनके शरीर से एक तेज उत्पन्न हुआ और जिस कन्या शक्ति का अवतरण इसे पुंज से हुआ उसका रंग नीला पड़ गया. इसके बाद से ही उन्हें नील सरस्वती के नाम से पुकारा जाने लगा.


नील सरस्वती की पूजा करने से मिलेंगे ये फल


1. चैत्र नवरात्र के दिनों में नील सरस्वती की पूजा करने से धन की कमी से परेशान लोगों की समस्याएं दूर होती हैं और घर में धन-धान्य का वास होता है.
2. अगर आपके जीवन में शत्रु बाधा है तो चैत्र नवरात्र पर मां नील सरस्वती की आराधना करें. ऐसा करने से विरोधी आपके सामने पराजित हो जाएंगे.
3. चैत्र नवरात्र पर मां सरस्वती का पूजन करने से सभी कष्टों का नाश होता है.


कब-कब की जाती है नील सरस्वती की पूजा
चैत्र नवरात्र का समय मां नील सरस्वती की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इस दिन जरूर इनकी आराधना करनी चाहिए. इसके अलावा हर माह की चतुर्दशी, अष्टमी और नवमी पर भी नील सरस्वती की पूजा की जाती है. यह पूजा बेहद लाभदायक साबित होती है.


नील सरस्वती स्त्रोत:


घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।


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