#DeshKaZee: ZEEL-INVESCO विवाद क्या है? डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया ZEE का असली मालिक कौन
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#DeshKaZee: ZEEL-INVESCO विवाद क्या है? डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया ZEE का असली मालिक कौन

ZEEL-Invesco Matter: ज़ी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के साथ सोनी पिक्चर्स (SPNI) के मर्जर के एलान के बाद से इन्वेस्को डील में अड़ंगा लगा रहा है. चीन ZEEL के खिलाफ साजिश क्यों कर रहा है. क्या किसी कॉरपोरेट घराने के इशारे पर सब हो रहा है. इन सभी सवालों के जवाब देश की जनता भी जानना चाहती है. कंपनी के शेयरहोल्डर भी जानना चाहते हैं.

डॉ. सुभाष चंद्रा ने बताया ZEE का असली मालिक कौन

Delhi/Patna: ज़ी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ ZEEL फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्र के सबसे बड़े इंटरव्यू में तमाम उन बड़े सवालों के जवाब मिलेंगे जिनके बारे में देश की जनता और कंपनी के शेयरहोल्डर भी जानना चाहते हैं. ये सवाल इसलिए भी अहम हैं क्योंकि ज़ी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के साथ सोनी पिक्चर्स (SPNI) के मर्जर के ऐलान के बाद इन्वेस्को की मंशा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह भी है कि उसके पीछे किसका हाथ है? इन्वेस्को इन सभी सवालों से क्यों भाग रहा है?

  1. इन्वेस्को की मंशा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं
  2. इन्वेस्को सभी सवालों से क्यों भाग रहा है?

सवाल: आपने वर्ष 1992 में Zee TV लॉन्च किया था उसके बाद भारत की कई पीढ़ियां Zee TV देखते हुए ही बड़ी हुईं लेकिन आज उसी Zee TV के ऊपर एक विदेशी कंपनी के रूप में खतरा मंडरा रहा है, आप इस खतरे को कितना गंभीर मानते हैं?
जवाब: Zee TV एक ऐसे दौर में लॉन्च हुआ जब हमारे देश में दूरदर्शन केवल एक चैनल था. दूरदर्शन की अपनी मर्यादा होती है. उनको पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टर का काम करना पड़ता है इसलिए वे एंटरटेनमेंट के प्रोग्राम ज्यादा नहीं दिखा पाते थे. जगह खाली थी इसी लिये ज़ी 1992 में आया और ये जगह भर गई. आज कोई 10 लाख करोड़ रुपये भी खर्च करे तो ये वापस री-क्रिएट नहीं हो सकता. चूंकि इस नेटवर्क को देख कर देश की 3-4 जनरेशन बड़ी हुई हैं. सबने इसे प्यार दिया है. आज भी हमारे यहां बॉम्बे में एक गोडाउन है, वहां आज भी 10 करोड़ चिट्ठियां 1992 से लेकर 1996 तक की पड़ी हुई हैं. तो ये चैनल मेरा चैनल नहीं है, ये चैनल इन्वेस्को का नहीं है ये चैनल देश के 2.5 लाख शेयरहोल्डर का चैनल है. इसके ऊपर विदेशियों का अटैक 1994 में भी हुआ, उस समय मुझे एक विदेश की कंपनी द्वारा 500 मिलियन डॉलर ऑफर किए गए थे. मैंने उस समय भी उस कंपनी से कहा था, 'india Is not For Sale.' आज भी ऐसी कोई स्थित बनती दिख रही है तो मैं ये कहता हूं कि इन्वेस्को एक शेयरहोल्डर है, वो मालिक नहीं है. वो शेयरहोल्डर की तरह ही व्यवहार करें ना कि मालिक की तरह. जो शेयरहोल्डर हैं, जो मालिक हैं 2.5 लाख लोग उनको निर्णय करने दें. 

सवाल: आपके मुताबिक आज Zee TV का मालिक कौन है?
जवाब: 2.5 लाख शेयरहोल्डर, पब्लिक. इस नेटवर्क का मालिक कोई अकेला व्यक्ति नहीं है. इस देश के 90 करोड़ व्यूअर जो रोज Zee TV को देखते हैं वो मालिक हैं. 90 करोड़ भारत में और 60 करोड़ लोग विदेशों में इसे देखते हैं, वो 150 करोड़ लोग इसके मालिक हैं. इसका कोई एक व्यक्ति मालिक नहीं है, मैं भी इसका मालिक नहीं हूं.

सवाल: आप लगातार ये कह रहे हैं कि इन्वेस्को को अपनी मंशा साफ करनी चाहिए, इससे आपका क्या मतलब है?
जवाब: मेरा ये कहना है कि इन्वेस्को एक... मुझे पहले तो उनका पता नहीं है, स्ट्रक्चर क्या है? ओपन हाइमर जिसके लोगों ने शुरू में बात की थी, वो तो हमें समझ आता था कि ये अमेरिकन फंड है. ये जो फंड है, जिसने ओवरसीज, चाइना, Fund LLC.. ऐसा कुछ नाम है, हमें इसका पहले तो ये समझ नहीं आ रहा कि ये चाइना का फंड है या कहां का फंड है. दूसरा वो तो चलाने वाले नहीं हैं. इतने बड़े नेटवर्क को एक प्राइवेट इक्विटी का व्यक्ति चला नहीं सकता. जरूर इसके पीछे कोई न कोई है. आपने कार्यक्रम में कहा कि वो बोर्ड ऑफ डायरेक्टर पुनीत गोयनका को बदलना चाहते हैं, वो नहीं है.. वो इस कंपनी को टेक ओवर करना चाहते हैं. वो देश के कानून के विरोध में उसको टेक ओवर करना चाहते हैं. वो सीधे रास्ते नहीं आकर, एक गुप्त रूप से, गैरकानूनी तरीके से टेक ओवर कोड को बचाते हुए I&B मिनिस्ट्री की सिक्योरिटी क्लियरेंस को भी बचाते हुए केवल एक कंपनी लॉ के एक प्रावधान के पीछे छिपकर इस कंपनी को हड़पना चाहते हैं. 

सवाल: ZEEL का जो बोर्ड है उस पर आज किसका कंट्रोल है?
जवाब: उस बोर्ड पर किसी का कंट्रोल नहीं है. आज 6 बोर्ड मेंबर हैं, 7वें पुनीत गोयनका हैं. वो इस विषय में पार्टिसिपेट भी नहीं कर सकते. 6 के 6 बड़े इज्जतदार डायरेक्टर हैं वो स्वतंत्र निर्णय लेते हैं. आज एक प्रश्न उठ रहा है कि EGM बोर्ड क्यों नहीं होने देता? ये बोर्ड से पूछो. बोर्ड स्वतंत्र है. उन्होंने अपने लीगल एडवाइजर अपॉइंट कर रखे हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से राय ली है. उनको ये बताया गया है कि इन्वेस्को की तरफ से आई रीक्वीजेशन गैरकानूनी है. गैरकानूनी रीक्वीजेशन के बोर्ड की ड्यूटी बन जाती है कि गलत है तो इसे शेयरहोल्डर के सामने प्रस्तुत न करें बल्कि उनको एक्सपोज करें. ये उनकी ड्यूटी है. ये कानून बात है. बोर्ड का इंडिपेंडेंट निर्णय है, पुनीत गोयनका का या मेरा किसी का कोई अधिकार नहीं है.

सवाल: रिसर्च में पता चला, इन्वेस्को कोई आज का इन्वेस्टर नहीं है, काफी पुराना इन्वेस्टर है. इससे पहले पुनीत गोयनका के नेतृत्व करने की क्षमता पूरा विश्वास था. सबकुछ ठीक चल रहा था फिर अचानक से उन्होंने पलटी मारी और अचानक से उनकी राय बदल गई?
जवाब: मेरी निजी राय है, मैं न कंपनी की राय कहता हूं न पुनीत गोयनका की राय कहता हूं. मैं आज ZEEL का डायरेक्टर भी नहीं हूं, एक इंडिपेंडेंट व्यक्ति के रूप में कहता हूं कि कोई न कोई व्यक्ति इन्वेस्कों में बेईमानी कर रहा है. शायद अपने बड़े अधिकारियों को भी ठीक से बात नहीं बता रहा या बता रहा है तो शायद इस रूप से बता रहा है कि इसमें वो (अधिकारी) भी उसका साथ दे. तो कुछ बदल गया है इन्वेस्को में, वो इन्वेस्को नहीं है. ये गैरकानूनी काम करने वाली कंपनी या तो चाइना की कंपनी है, जिसको किसी से डर नहीं है. मुझे नहीं पता क्या है लेकिन ये बिल्कुल सही है, मैंने भी एक दो कानून के जानकार लोगों से पूछा है तो उन्होंने भी कहा कि ये गैरकनूनी काम कर रहे हैं. यदि उन्होंने पहले से कोई डील कर रखी है तो वो भी एकतरफ है. टेक ओवर है. सेबी को और मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स को इसका संज्ञान लेना चाहिए. कानून के मुताबिक एक्शन करना चाहिए. मैं तो ZEEL के बोर्ड से भी कहूंगा कि आप इन्वेस्को से बात करें. उनसे कहें कि हम EGM करने को तैयार हैं लेकिन आपकी डील सामने लाओ हमें बता दो, हम शेयरहोल्डर के सामने रखेंगे कि ये इन्वेस्को की डील है ये सोनी की डील है. यदि शेयरहोल्डर चाहते हैं  कि पुनीत गोयनका हट जाएं तो हटना ही पडे़गा, उनको पिछले वर्ष शेयरहोल्डर्स की मीटिंग में ही 5 वर्ष के लिए MD नियुक्त किया.

(Disclaimer: ज़ी एंटरटेनमेंट हमारी Sister Concern/Group Company नहीं है. हमारे नाम एक जैसे दिखते हैं लेकिन हमारा स्वामित्व और प्रबंधन अलग ग्रुप की कंपनी ज़ी मीडिया के हाथों में है.)

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