Jharkhand Samachar: विधायक बिरंची नारायण ने प्रदीप यादव की मौजदूगी पर एतराज जताया. उन्होंने कहा कि 'इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री शमशेर आलम मौजूद हैं. साथ ही प्रदीप यादव (Pradeep Yadav) को भी आमंत्रित किया गया है.
Trending Photos
Ranchi: झारखंड में आगामी बजट सत्र को लेकर बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष ने बैठक बुलाई. इस बैठक में एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा उठा. बैठक के बाद विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बीजेपी विधायक बिरंचि नारायण ने कहा कि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को कांग्रेस का नेता माना जाए जबकि बाबूलाल मरांडी को बीजेपी का नेता मानते हुए नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाए.
प्रदीप यादव की मौजूदगी पर BJP ने जताया एतराज
दरअसल, विधायक बिरंची नारायण ने प्रदीप यादव की मौजदूगी पर एतराज जताया. उन्होंने कहा कि 'इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री शमशेर आलम मौजूद हैं. साथ ही प्रदीप यादव (Pradeep Yadav) को भी आमंत्रित किया गया है. जबकि मैंने प्रमाण स्वरूप दो पत्र भी दिखाए हैं, जो आलमगीर आलम ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा है कि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey) ने विधिवत झारखंड विकास मोर्चा (JVM) का विलय कांग्रेस में किया है. ऐसे में दोनों को कांग्रेस (Congress) का नेता माना जाए.
ये भी पढ़ें-हार्वर्ड कॉन्फ्रेंस में बोले CM हेमंत, आदिवासी कभी न हिन्दू थे और न हैं, सदियों से इन्हें दबाया जाता है
बिरंची नारायण (Biranchi Narayan) ने कहा कि ऐसे में प्रदीप यादव को बैठक में बुलाना असहज लग रहा है. वहीं, बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को नेता प्रतिपक्ष (Jharkhand Leader of Opposition) का दर्जा नहीं दिए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि यह मामला उच्च न्यायालय में है, विधानसभा के न्यायाधिकरण में है इसलिए इस पर कुछ ज्यादा बोलना सही नहीं है.
SC में चल रहा है बाबूलाल मरांडी का मामला
बता दें कि बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिए जाने का मामला उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में चल रहा है. दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का विलय बीजेपी में किया था और खुद पार्टी में शामिल हो गए थे. जबकि इसका जेवीएम के दो अन्य विधायकों ने विरोध किया था. इसमें बंधु तिर्की और प्रदीप यादव का नाम शामिल हैं. दोनों नेता बाद में दिल्ली जाकर सोनिया और राहुल गांधी के सामने जाकर कांग्रेस की सदस्यता ली थी.
ये भी पढ़ें-Niti Aayog की बैठक में Hemant Soren ने उठाया 'सरना' का मुद्दा, केंद्र से मान्यता देने की मांग की
EC ने बाबूलाल की दलील को माना सही
इसके बाद से दोनों विधायकों का कहना है कि असली जेवीएम वो थी जो उन्होंने कांग्रेस में विलय किया है. जबकि बाबूलाल का तर्क इसके विपरित है. हालांकि, चुनाव आयोग ने बाबूलाल मरांडी की जेवीएम का बीजेपी में विलय को सही माना है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार नहीं किया है. ऐसे में मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन चल रहा है.