सके बाद लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने काम करना शुरु किया लेकिन फॉरेस्ट विभाग से अनुमति नहीं लिए जाने के कारण थोड़ी विलंब हुई और वर्ष 2017 में खड़गपुर झील से पीने का पानी को शुद्ध कर पेयजल के रुप में लोगों तक पहुंचाया गया.
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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार(Nitish Kumar) ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से पंचायती राज विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘हर घर नल का जल’ निश्चय एवं ‘हर घर तक पक्की गली-नालियां’ निश्चय अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया.
‘हर घर नल का जल’ निश्चय योजना अंतर्गत बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 11,501.86 करोड़ रुपए की लागत से 31,833 ग्रामीण वार्डों में 50,93,000 घरों में जलापूर्ति तथा पंचायती राज विभाग द्वारा 8,700 करोड़ रुपए की लागत से 55,003 ग्रामीण वार्डो में 88 लाख घरों में जलापूर्ति तथा बिहार के शहरी क्षेत्रों में नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा 228.87 करोड़ रुपए की लागत से 687 शहरी वार्डों में 2,01,791 घरों में जलापूर्ति के कार्य का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया गया.
वहीं ‘घर तक पक्की -गली नालियां’ निश्चय के अंतर्गत बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज विभाग द्वारा 12,700 करोड़ रुपए की लागत से 1,13,902 ग्रामीण वार्डों में, बिहार के शहरी क्षेत्रों में नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा 585.78 करोड़ रुपये की लागत से 1898 शहरी वार्डों में योजनाओं का भी उद्घाटन एवं लोकार्पण किया गया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायती राज विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित ‘हर घर नल का जल’ निश्चय एवं ‘हर घर तक पक्की गली-नालियां’ निश्चय अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं लोकार्पण कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देता हूं. यह कार्यक्रम 7 निश्चय योजना के अंतर्गत दो प्रमुख निश्चय हर घर नल का जल एवं हर घर तक पक्की गली-नालियों का निर्माण कर उसका क्रियान्वयन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 में यात्रा के दौरान मुंगेर जिले के अंतर्गत खैरा ग्राम जाने का मौका मिला था. वहां के लोगों ने फ्लोराइड के कारण हो रही परेशानी के बारे में जानकारी दी. भोजपुर जिले के बड़हरा पंचायत में भी जाने का मौका मिला था जो कि आर्सेनिक प्रभावित इलाका है. उसके पहले 2009 में विकास यात्रा के दौरान खगड़िया में आयरन प्रभावित पानी होने की जानकारी मिली.
उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन कराया गया और उसके बाद लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने काम करना शुरु किया लेकिन फॉरेस्ट विभाग से अनुमति नहीं लिए जाने के कारण थोड़ी विलंब हुई और वर्ष 2017 में खड़गपुर झील से पीने का पानी को शुद्ध कर पेयजल के रुप में लोगों तक पहुंचाया गया.
नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के 14 जिलों के 5085 वार्ड आर्सेनिक प्रभावित हैं, 11 जिले 3814 वार्ड फ्लोराइड प्रभावित हैं और 12 जिले 21,598 वार्ड आयरन प्रभावित हैं. कुल मिलाकर 31 जिलों के 30 हजार 419 वार्ड आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं आयरन से प्रभावित हैं. इन सभी वार्डों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए निंरतर काम किया जा रहा है.
सीएम ने बताया कि पहले लोगों को पेयजल कुआं और चापाकल से मिलता था लेकिन हमलोगों ने निश्चय किया कि अब हर घर तक शुद्ध पेयजल नल के माध्यम से पहुंचाएंगे और गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल हर हाल में मिलेगा. इस काम को विकेंद्रीकृत तरीके से किया गया. जिसमें मुखिया जी को भी अधिकार दिया गया.
वार्ड के द्वारा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से इस काम को तेजी से किया गया. गुणवत्ता प्रभावित वार्डों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को दी गई. इस काम को पूरा करने में काफी परेशानी हुई. बावजूद इसके काम को पूर्ण किया गया और जो बचे हुए काम हैं उसे भी अक्टूबर, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि हमलोगों ने काम पूर्ण किया है लेकिन इसके मेंटेनेंस और देखभाल भी निरंतर करनी होगी. नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा कुल 3,370 वार्डों में से 1,421 वार्डों में कार्य पूरा कर लिया गया है. शेष बचे हुए काम को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा 817 वार्डों में अमृत योजना के तहत लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा, जिसकी राशि मिल गई है और उस पर काम शुरु हो गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि 89 लाख घरों में नल का जल पहुंचाने के लक्ष्य के तहत 51 लाख 88 हजार घरों में नल का जल पहुंचा दिया गया है. शेष बचे हुए काम अक्टूबर तक पूर्ण हो जाएंगे. कोरोना संक्रमण के कारण योजनाओं की प्रगति थोड़ी धीमी रही. बाढ़ के कारण भी प्रभावित क्षेत्रों में कार्य अवरुद्ध हुआ है लेकिन उम्मीद है कि बचे हुए कार्य जल्द पूर्ण हो जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा वर्ष 2020 के अंत तक मिल जाएगी. जैसा कि बताया गया है कि पूरे देश में वर्ष 2024 तक तथा विश्व भर में 2030 तक इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. लोग इसका सदुपयोग करें, पानी का दुरुपयोग ना करें.
कुछ लोग इस जल को पटवन एवं जानवरों के लिए भी उपयोग में लाते हैं, यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं. भू-जल के स्तर को मेंटेन रखने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत 7 अव्यव जल संरक्षण के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिसके अंतर्गत तालाब, आहर, पईन, पोखर सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है.
लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु हर घर नल का जल योजना के साथ-साथ कुओं एवं चापाकल को भी मेंटेन रखेंगे. उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति पर काम किया जा रहा है. हर घर शौचालय का भी काम पूरा किया जा रहा है. लोग शौचालय का उपयोग करें, खुले में शौच न जाएं. अगर खुले में शौच से मुक्ति मिल जाए और पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध हो तो आज होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियों से मुक्ति मिल जाएगी. शराब पीने से जो बीमारी फैलती थी, उसके लिए महिलाओं की मांग पर हमने शराबबंदी लागू किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए लोगों के हित में काम करते हैं. समाज सुधार के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में विकास के कार्य किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब हम केंद्र में मंत्री थे तब भी पैदल घूमते थे और लोगों की समस्याओं की जानकारी लेते थे. ज्यादा लोगों की मांग सड़कों के निर्माण और गली-नाली के निर्माण की होती थी.
उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में गर्मी के दिनों में भी कीचड़ भरा रहता था, जिससे लोगों को आवागमन में काफी कठिनाई होती थी. हमलोगों ने पूरे राज्य में बेहतर सड़क का निर्माण कराया और सभी को पक्की सड़कों से जोड़ा. हमलोगों ने निश्चय किया कि जब गांव सड़क से जुड़ गये तो गांव के अंदर भी पक्की गली नाली का निर्माण कराएंगे, जिससे जब लोग घर से निकलेंगे तो सड़क तक जाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी.
पंचायती राज विभाग ने जानकारी दी है कि कुल 8386 ग्राम पंचायतों के 1 लाख 14 हजार 691 वार्डों में 1 लाख 15 हजार 902 वार्डों में पक्की नाली गली का निर्माण पूर्ण हो गया है. इस पर 12 हजार 700 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. पक्की गली नाली के निर्माण में पेवर ब्लॉक्स का भी उपयोग किया जा रहा है इससे वर्षा के दौरान पानी जमीन के अंदर जाने से भू-जल का स्तर हमेशा बना रहेगा. अगर फिर से कुछ निर्माण कार्य किया जाना है तो उसको आसानी से उखाड़ा जा सकता है और कार्यों को किया जा सकता है.