झारखंड: पैसों के अभाव में नहीं मिली एंबुलेंस , शव को खाट पर लादकर चल दिए परिजन
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झारखंड: पैसों के अभाव में नहीं मिली एंबुलेंस , शव को खाट पर लादकर चल दिए परिजन

झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने गरीब लोगों की मदद के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं शुरू की हैं. लेकिन कई बार प्रशासनिक लापरवाही और जानकारी के अभाव में लोगों को इन सुविधाओं का फायदा नहीं मिल पाता है. 

खाट पर शव लादकर परिजन घर की तरफ चल दिए.

देवाशीष, दुमका: झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने गरीब लोगों की मदद के लिए बहुत सी सरकारी योजनाएं शुरू की हैं. लेकिन कई बार प्रशासनिक लापरवाही और जानकारी के अभाव में लोगों को इन सुविधाओं का फायदा नहीं मिल पाता है. ऐसा ही एक मामला झारखंड के दुमका जिले के जामताड़ा से सामने आया है. सदर अस्पताल के पास एक झोपड़ी बनाकर रह रहे संजय मरांडी को लकवा का अटैक आया. उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. 

शहर से तीन किलोमीटर दूर चिलाबाशा गांव में रह रहे मृतक के परिजनों को जब इसकी जानकारी मिली तो वे शव को लेने के लिए अस्पताल पहुंचे. चार लोगों ने शव को कंधे पर लादा और उसे उठाकर गांव की तरफ चल दिए. रास्ते में नदी-नाला खाई भी आयी, लेकिन मजबूर लोग उन परस्थितियों से जूझते हुए शव को लेकर गांव पहुंचे. 

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मृतक के परिजनों का कहना उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए शव को कंधे पर लादकर गांव तक ले जाने की उनकी मजबूरी थी. यह तस्वीर जब सामने आयी तो लाखों-करोड़ों खर्च कर तैयार की गयी सरकारी सुविधाओं पर सवाल खड़ा हो गया. जामताड़ा सदर अस्पताल में शव ढोने के लिए दो एंबुलेंस हैं. लेकिन लोगों को समय पर इसका लाभ नहीं मिल पाता है. कई बार इसके लिए प्रशासनिक उदासीनता तो कई बार लोगों में जागरुकता की कमी को वजह माना जाता है. 

इस मामले के सामने आने के बाद दुमका के जिला उपायुक्त गणेश कुमार ने कहा है कि जब शव को खाट पर लादकर ले जाया जा रहा था तो अस्पताल की तरफ से एंबुलेंस की सुविधा दी जानी चाहिए थी. उन्होंने इस मामले में जानकारी लेकर कार्रवाई की बात कही है. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि शव को कंधे पर ढोने वाले लोगों को अस्पताल से मिलने वाली एंबुलेंस की सुविधा के बारे में जानकारी नहीं थी. 

दुमका के सांसद सुनील सोरेन ने कहा है कि सरकार तत्परता से जागरुकता अभियान चला रही है. फिर भी इस मामले में लाभ क्यों नहीं मिला, उन्होंने इसको देखने की बात कही है. इस तरह की अलग-अलग तस्वीरें अक्सर सामने आती हैं. जाहिर है, सरकारी सुविधाओं के प्रचार-प्रसार के जरिए लोगों तक इसकी जानकारी पहुंचाने की बेहद आवश्यकता है. 

-- Dharmendra Mani Rajesh, News Desk