बिहार : लाखों खर्च करने के बाद भी बंद पड़ा है बक्सर का नशा मुक्ति केंद्र
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बिहार : लाखों खर्च करने के बाद भी बंद पड़ा है बक्सर का नशा मुक्ति केंद्र

नशा मुक्ति केंद्र के स्टाफ रूम में कुर्सियां तो थी, लेकिन बाबू लोग नदारद थे. 

नशा मुक्ति केंद्र में लटके पड़े हैं ताले.

बक्सर : बिहार सरकार द्वारा एक अप्रैल 2015 को पूरे राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया गया. नशा के गिरफ्त में आ चुके लोगों के इलाज के लिए सभी जिलों में लाखों रुपये खर्च कर नशा मुक्ति केंद्र बनाए गए, लेकिन इन केंद्रों का हाल जान आप भी दंग रह जाएंगे. बक्सर के सदर अस्पताल में भी भव्य तरीके से नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई थी. 

नशा मुक्ति केंद्र में एक अस्पताल की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं थी. लेकिन जब नशा मुक्ति केंद्रों की पड़ताल के लिए जी मीडिया की टीम पहुंची तो दृश्य कुछ और ही बयां कर रहे थे.

नशा मुक्ति केंद्र के स्टाफ रूम में कुर्सियां तो थी, लेकिन बाबू लोग नदारद थे. थोड़ा और आगे बढ़ने पर पता चला कि पूरे दिन डॉ साहब के चेम्बर में ताला लटका रहता है. महिला और पुरुष के लिए बनाए गए वार्ड के दरवाजे भी बाहर से बन्द थे. काफी प्रयास के बाद भी कोई स्टाफ नहीं मिला. जब कैमरे से अंदर झांका गया तो पता चला कि कुर्सियां भले ही खाली थी, लेकिन अंदर लगे सीसीटीव कैमरे बखूबी अपना काम कर रहे थे.

खबर लगते ही बक्सर सिविल सर्जन किरण कुमार लाल सफाई देने के लिए सामने आए, लेकिन जनाब कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर तो चुप रहे लेकिन सरकार की शराबबंदी कानून की सराहना करते नहीं थकते हैं. पहले मरीज आते थे अब कभी कभार ही आते हैं, जिनका पूरा इलाज किया जाता है. 

बहरहाल इस तस्वीर को देखकर आप भी अंदाज लगा सकते हैं कि जिस सेंटर पर कर्मचारी ही उपस्थित नहीं हो, वहां मरीज कैसे आएंगे. नशामुक्ति केंद्र के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर सरकार गरीब जनता की टैक्स की पैसों को बर्बाद कर रही है.