दुमका में नक्सली घटनाओं और गतिविधियों को देखते हुए पुलिस प्रशासन लगातार अपने अधिकारियों को और भी दक्ष बनाने की मुहीम में लगा हुआ है.
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दुमका: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2019) को देखते हुए नक्सल (Naxali) प्रभावित दुमका में काम करने वाले झारखंड पुलिस के जवानों को शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त बनाने के साथ ही अब उन्हें मानसिक तौर पर भी तेज तर्रार बनाने की कवायद में पुलिस महकमा जुट गया है. चुनाव से पूर्व दुमका के नकटी में पुलिस के जवानों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि जवानों का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, साथ ही चुनाव के दौरान किसी तरह की चुनौती का सामना करने में सक्षम भी साबित होंगे.
दुमका में नक्सली घटनाओं और गतिविधियों को देखते हुए पुलिस प्रशासन लगातार अपने अधिकारियों को और भी दक्ष बनाने की मुहीम में लगा हुआ है. जमीन पर अपना जौहर दिखाते इन पुलिसकर्मियों का जोश और जज्बा देखते ही बन रहा था.
ये वही पुलिसकर्मी हैं जो अब नकसलियों के नापाक मंसूबो पर पानी फेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो रहे हैं. फायरिंग की आवाज सुनकर लोग हैरत में पड़ गए. जोश और जुनून से भरे पुलिसकर्मियों को गोली चलाते हुए देख लोग चौंक गए. दरअसल, ये जवान दुमका के नकटी स्थित फायरिंग रेंज एरिया पर सधी हुई निशानेबाजी का प्रशिक्षण ले रहे थे.
विधानसभा चुनाव से पूर्व इन जवानों को हथियार चलाने से लेकर आइईडी की जांच करने की भी ट्रेंनिग दी जा रही है, ताकि ये जवान बेहतर ट्रेनिंग लेकर मतदान के दौरान पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी निभा सके और किसी भी तरह की चुनौती का सामना और उसका जवाब दे सके. दरअसल, नक्सल प्रभावित इलाके में काम करनेवाले पुलिस के जवानों और अधिकारियों को शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए इन्हें फिजिकल ट्रेनिंग के साथ ही अचूक निशानेबाजी के टिप्स दिए जा रहे हैं. दुश्मनों की मांद तक बिना किसी नुकसान के पहुंचना और फिर अचूक निशानेबाजी से उनके दांत खट्टे करने की गुर सिखने के बाद अब झारखंड पुलिस के जवान नक्सलियों के मंसूबो पर पानी फेर सकते हैं.
दुमका समेत पूरा संथाल परगना नक्सलियों के सेफ जोन के रूप में माना जाता है. हाल में पकड़े गए कई नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद यह बात भी सामने आई है कि दुमका और इसके आसपास के इलाकों में वारदातों को अंजाम देने वाले नक्सलियों में अधिकांश नक्सली राज्य के सबसे ज्यादा प्रभावित माने जाने वाले जिलों से आते हैं. फिर वारदातों को अंजाम देकर संथाल परगना के घने जंगलों में शरण ले लेते हैं या फिर बंगाल-बिहार की तरफ भाग निकलते हैं.