15 अगस्त को पटनावासियों को मिलेगा तोहफा, गंगा किनारे बन कर तैयार है डच कैफे
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15 अगस्त को पटनावासियों को मिलेगा तोहफा, गंगा किनारे बन कर तैयार है डच कैफे

15 अगस्त यानि स्वाधीनता दिवस के दिन डच कैफे के उद्घाटन का लक्ष्य रखा गया है हालांकि उद्घाटन के वक्त में कुछ देरी हो सकता है लेकिन जब ये कैफे बनकर तैयार होगा तो पटना के युवाओं को खाने पीने की एक अच्छी जगह मिल जाएगी. 

पटना यूनिवर्सिटी के पटना कॉलेज के ठीक पीछे ये डच रेस्टोरेंट का निर्माण हो रहा है.

पटना: जहां तक नजर जाए वहां तक गंगा की लहरें, खुला आसमान और लहरों की अटखेलियों के किनारें खान-पान. बड़े शहरों की तर्ज पर पटना में कुछ ऐसा ही रेस्टोरेंट गंगा रिवर फ्रंट के किनारे बनकर तैयार हो रहा है. पटना स्मार्ट सिटी की परियोजनाओं के तहत गंगा रिवर फ्रंट के किनारे डच कैफे के नाम से एक रेस्टोरेंट तैयार हो रहा है जहां बिहार के परंपरागत व्यंजनों  के साथ ही दक्षिम भारतीय खान पान भी परोसा जाएगा.

अब तक आपने बड़े शहरों में ही समंदर या नदियों के किनारे खान पान और घूमने का शौक पूरा किया होगा लेकिन अगर आप गंगा की लहरों के किनारे खुले आसमान में परिवार या दोस्तों के साथ खाने पीने का शौक रखते हैं तो ये शौक जल्द ही पूरा होने जा रहा है. दरअसल पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड की परियोजनाओं के तहत गंगा रिवर फ्रंट के किनारे एक रेस्टोरेंट तैयार हो रहा है जिसे नाम दिया गया है डच रेस्टोरेंट.

पटना यूनिवर्सिटी के पटना कॉलेज के ठीक पीछे ये डच रेस्टोरेंट का निर्माण हो रहा है. 15 अगस्त यानि स्वाधीनता दिवस के दिन डच कैफे के उद्घाटन का लक्ष्य रखा गया है हालांकि उद्घाटन के वक्त में कुछ देरी हो सकता है लेकिन जब ये कैफे बनकर तैयार होगा तो पटना के युवाओं को खाने पीने की एक अच्छी जगह मिल जाएगी. पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुमप सुमन के मुताबिक, डच कैफे एल शेप में बनाया जा रहा है. चारों तरफ शीशे लगे होंगे जिसके अंदर में चाय या कॉफी की चुस्की या फिर खान पान के साथ गंगा रिवर फ्रंट और गंगा की लहरों का आनंद लेंगे.

डच कैफे की लागत 1 करोड़ से ज्यादा है और इसमें एक साथ 50 लोगों के खाने की व्यवस्था होगी.  इडली,डोसा, दक्षिण भारतीय आहार, चाइनीज,सी फूड के साथ बिहार के भी परंपरागत व्यंजनों को जगह मिलेगी. यानि लोग लिट्टी चोखा का भी आनंद ले सकेंगे. अब सवाल रेस्टोरेंट के नाम डच कैफे को लेकर है. दरअसल पटना कॉलेज की स्थापना 1863 में हुई थी और इस कॉलेज  की बनावट भी डच शैली आधारित बिल्डिंग का अद्भुत नमूना है.

क्योंकि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड पटना कॉलेज के पीछे कैफे बना रहा है इसलिए इसका नाम डच कैफे रखा गया है. डच कैफे के सामने हरी-हरी घास का ल़ॉन भी तैयार किया जाएगा. दूसरी तरफ पटना यूनिवर्सिटी के सभी कॉलेज और हॉस्टल गंगा किनारे ही हैं. इसके अलावा यहां कई घाट हैं . गंगा के बीच में रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार हो रहा है लिहाजा पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड को इस कैफे में अच्छी खासी भीड़ और आमदनी की भी उम्मीद है.

पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 15 अगस्त को इसके उद्घाटन का लक्ष्य रखा है. हो सकता है उद्घाटन में कुछ देरी हो जाए लेकिन जब ये डच कैफे बनकर तैयार होगा तो यकीन मानिए पटना के लोगों को अपनी शाम बिताने की नई जगह भी मिल जाएगी.