रांची विश्वविद्यालय की प्रो वीसी कामिनी कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति वर्तमान समय की मांग की पूरी कर रहा है.
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रांची: देश की नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) पर चर्चा जारी है. देश के पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक विशेषज्ञ की राय ले रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नई शिक्षा नीति को देश का शिक्षा नीति बताया तो झरखंड के मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति की खामियों को सामने रखा है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने इस पर शिक्षाविद के साथ छात्रों की भी राय जानने की सलाह दी है.
रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) की प्रो वीसी कामिनी कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति वर्तमान समय की मांग की पूरी कर रहा है. अभी जो छात्र पढ़ाई कर रहे हैं वो बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं तो कोई डिग्री नहीं मिलता है पर, नई शिक्षा नीति में इसका ख्याल रखा गया गए. बहुविषयक शिक्षा पर बल दिया गया है. ये शिक्षा नीति 34 साल पुरानी शिक्षा नीति को रिप्लेस करेगा.
वहीं, दुमका सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय (Sido Kanhu Murmu University) के कुलपति सोना झरिया मिंज ने नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि शिक्षा नीति 64-65 पन्नो का है. नई कोई भी नीति आती है तो इसके पहले बनाए गए नीति को देखना चाहिए कि कौन-कौन से कारण थे जो पहले कामयाब नहीं हुए. किसी भी नीति में पिछले शिक्षा नीति में सर्व शिक्षा अभियान आया. राइट टू एजुकेशन आया. उसी तरह उसको एनालाइज किए बिना फिर से एक नई नीति लेकर आना यह थोड़ा जचता नही है. इम्प्लीमेंटेशन के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार बजट का कितना हिस्सा शिक्षा में खर्च करते है यह पहला फोकस होना चाहिए. नीति आयोग (Niti Aayog) के तहत टेक्नोलॉजी के तहत संथाल परगना के क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों के हाथों में एनोराइड मोबाइल हो, जिससे उन्हें पड़ने में सुविधा मिले इसका इम्प्लीमेंटेशन होना चाहिए.
एजेएसयू (AJSU) छात्रसंघ की मानें तो 34 वर्षों बाद बनी नई शिक्षा नीति में मातृ भाषा, क्षेत्रीय भाषा को प्रमुखता दी गयी है. यहां के शिक्षा के विषय पर जोर है, जिससे शिक्षा के स्तर में सुधार होगा. छात्र-छात्राओं के हित में है. नई क्रांति की तरफ ले जाएगा.
एबीवीपी (ABVP) के छात्रसंघ ने इसका स्वागत किया है. पुराने शिक्षा नीति को बदलना बहुत आवश्यक हो गया था. पुरानी शिक्षा नीति आज के हिसाब से सूटेबल नहीं है. छात्रों को रटा-रटाया सिलेबस थोपा जा रहा है. झारखंड छात्र मोर्चा के आशुतोष वर्मा का मानना है कि, नई शिक्षा नीति का छात्र इंतजार कर रहे थे, पर ये नीति कहीं से भी छात्र हित में नहीं है. इससे झरखंड के छात्रों का भला नहीं होने वाला है. इसमें मातृ भाषा को लेकर अस्पष्टता नहीं है.
वहीं, कांग्रेस छात्र इकाई की मानें तो नई शिक्षा नीति अस्पष्ट है. क्षेत्रीय भाषा को लेकर स्पष्ट कुछ भी नहीं है. तर्कसंगत नहीं है और बहुत सुधार की गुंजाइश भी नहीं है.
(इनपुट-सुबीर/कुमार चंदन)