बिहार में 11 दिनों के अंदर गिरे पांच पुल, सरकार पर उठ रहे सवाल
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2313817

बिहार में 11 दिनों के अंदर गिरे पांच पुल, सरकार पर उठ रहे सवाल

Bihar Bridge Collapse: बिहार में पुल-पुलिया गिरने और क्षतिग्रस्त का मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 11 दिनों के अंदर राज्य में पांच पुल गिर चुके हैं. पुल गिरने की घटनाओं के बीच सरकार पर भी अब सवाल उठने लगे हैं.

Bihar Bridge Collapse

Bihar Bridge Collapse: बिहार में पुल-पुलिया गिरने और क्षतिग्रस्त का मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 11 दिनों के अंदर राज्य में पांच पुल गिर चुके हैं. पुल गिरने की घटनाओं के बीच सरकार पर भी अब सवाल उठने लगे हैं. हालांकि सरकार पुल के टूटने या धराशायी होने की घटना की जांच कराने की बात जरूर कर रही है. इधर, पुल-पुलियों के गिरने की घटना के बाद सचेत हुई सरकार अब पुल की कमजोरी को जानने और नए पुल मजबूत बने, इसके लिए सभी ग्रामीण पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने जा रही है. बिहार सरकार का पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के पीछे का मकसद यह है कि सरकारी राशि का सदुपयोग हो और इससे जानमाल की सुरक्षा भी की जा सके.

ऐसा नहीं कि बिहार में पुल धराशायी या टूटने की घटना इसी सरकार में हो रही है. प्रदेश में सरकार महागठबंधन की रही हो या एनडीए की, पुल गिरते रहे हैं और विपक्ष सरकार पर सवाल उठाता रहा है. बताया जाता है कि अभी भी बिहार में पुल-पुलियों के रखरखाव को लेकर कोई नीति नहीं है. पुल-पुलियों के रखरखाव को लेकर कोई नीति न होने के कारण पुराने पुलों की मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है और बन रहे पुल-पुलियों में निर्माण सामग्री में गुणवत्ता का ख्याल भी नहीं रखा जाता है.

हालांकि सरकार अब पुल धराशायी या टूटने की घटनाओं को सचेत दिख रही है. ग्रामीण कार्य विभाग ने अब पुल-पुलियों की ऑडिट करवाने का निर्णय लिया है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर विभागीय अभियंताओं और अधिकारियों की तैनाती की जाएगी. विभागीय ऐप के माध्यम से हर दिन ऑडिट से जुटाई गई जानकारी मुख्यालय भेजी जाएगी. इस आधार पर मुख्यालय स्तर से पुल-पुलियों की मॉनिटरिंग की जाएगी. सभी आंकड़े इकट्ठा होने के बाद इसकी दोबारा जांच की भी व्यवस्था की जाएगी. जुटाई गई तमाम जानकारियों के आधार पर पुल का ग्रेड तैयार होगा और इसके बाद पुल के मरम्मत या पूरी तरह से पुनर्निर्माण पर विचार किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि 18 जून को अररिया के सिकटी प्रखंड के बकरा नदी पर उद्घाटन के लिए तैयार पुल अचानक भरभराकर गिर गया. इस मामले को लेकर पथ निर्माण विभाग ने तत्काल कई इंजीनियरों को निलंबित कर दिया और एक जांच दल का गठन कर जांच की जिम्मेदारी दे दी है. पुल-पुलिया गिरने को लेकर प्रदेश में राजनीति भी खूब होती दिख रही है. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दो सालों में प्रदेश में नौ छोटे-बड़े पुल ध्वस्त या क्षतिग्रस्त हुए हैं. वहीं मात्र पिछले 11 दिनों में सीवान, अररिया, पूर्वी चंपारण, किशनगंज में पुल गिरने के बाद शुक्रवार को मधुबनी के भुतही बलान नदी पर बन रहे एक निर्माणाधीन पुल का गार्डर गिर गया.

यह भी पढ़ें: Darbhanga Airport: दरभंगा में स्पाइसजेट की फ्लाइट पांच घंटे लेट, एयरपोर्ट पर यात्रियों ने किया हंगामा

यह भी पढ़ें: JDU Meeting: नीतीश कुमार नहीं छोड़ेंगे NDA का साथ, झारखंड चुनाव में भी जदयू ठोकेगी ताल, बनाया ये प्लान