लालू की सजा के ऐलान से राजद निराश- 'न्याय नहीं अन्याय हुआ'
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लालू की सजा के ऐलान से राजद निराश- 'न्याय नहीं अन्याय हुआ'

राजद ने आरोप लगाते हुए कहा है कि लालू के साथ न्याय नहीं बल्कि अन्याय हुआ है. 

लालू यादव वर्तमान में चारा घोटाले मामले में ही रांची की जेल में सजा काट रहे हैं. (फाइल फोटो)

रांची : चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ फैसला आने के बाद राजनेताओं की प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई. लालू यादव पर फैसला आने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, जैसी करनी-वैसी भरनीं. वहीं, इस पर राजद की ओर से आपत्ति जताई गई है. राजद ने आरोप लगाते हुए कहा है कि लालू के साथ न्याय नहीं बल्कि अन्याय हुआ है. 

  1. लालू को कोर्ट ने सुनाई है 14 साल की सजा
  2. चारा घोटाले के चौथे केस पर आया फैसला
  3. कोर्ट ने लालू पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. 

लालू यादव को हुई 14 साल की सजा
बता दें कि शनिवार को चारा घोटाले के चौथे मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई करते हुए लालू को अलग-अलग धाराओं के तहत 7-7 साल की दो सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने लालू पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अगर लालू तय समय में कोर्ट में य़ह जुर्माना नहीं भरते हैं तो उनकी सजा की अवधि एक साल और बढ़ जाएगी.

दोनों सजाएं एक के बाद एक चलेंगीं
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने दुमका कोषागार से गबन मामले में लालू प्रसाद को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत सात साल कैद की सजा और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी सात साल कैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया की लालू यादव की यह दोनों सजाएं एक के बाद एक होंगी. 

क्या है पूरा मामला
चारा घोटाले से जुड़े पहले मामले में राजद प्रमुख लालू यादव को साल 2013 में पांच साल की सजा सुनाई गई थी. इस घोटाले के दूसरे मामले में लालू को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. तीसरे मामले में उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के लिए 24 जनवरी को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा दी गई. 

क्या है दुमका ट्रेजरी केस
बता दें कि यह मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 13.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. इस मामले में 11 अप्रैल 1996 में सीबीआई ने 48 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में 11 मई 2000 को पहली चार्जशीट दायर की गई थी. 

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