शहीद दोस्‍त की बहन को गरुड़ कमांडो ने दी अनमोल विदाई, उसके हर कदम को अपनी हथेलियों पर रखा
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शहीद दोस्‍त की बहन को गरुड़ कमांडो ने दी अनमोल विदाई, उसके हर कदम को अपनी हथेलियों पर रखा

रोहतास के बादीलडीह के रहने वाले ज्योति प्रकाश निराला दो साल पहले जम्मू-कश्मीर में छह आतंकियों को मार कर खुद शहीद हो गए थे. 

बिहार में हुई शहीद की बहन करी शादी.

पटना : दो साल पहले आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए रोहतास के अशोक चक्र विजेता वायु सेना के गरुड़ कमांडो 'ज्योति प्रकाश निराला' की बहन के शादी में शहीद के कमांडो मित्रों ने जो रस्म अदायगी की वह एक मिसाल बन गई. शहीद की बहन की विदाई में जवानों ने दुल्हन के पांव अपने हथेली पर लेकर की.

अशोक चक्र विजेता शहीद गरुड़ कमांडो 'ज्योति प्रकाश निराला' की बहन की शादी पिछले दिनों थी. इस शादी में शहीद के दर्जनों मित्र शामिल हुए. अपने शहीद दोस्त की बहन की शादी में इन जवानों ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए विदाई के समय दुल्हन के पांव को जमीन पर नहीं पड़ने दिया और जहां-जहां दुल्हन के पांव पड़ते थे, उससे पहले शहीद के मित्र जवानों ने अपने हथेली बिछा दिया और वायुसेना के अन्य गरुड़ कमांडो के हथेलियों पर पांव रखकर शहीद की बहन जब विदा हुई तो पूरा गांव गर्व से खिल उठा. 

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शहीद की बहन दुल्हन शशिकला कहती हैं कि आज जब उसकी शादी हो रही थी, तो उसके भाई की कमी उसे महसूस नहीं होने दिया गया. ऐसी गौरवमई विदाई पाकर दूल्हा सुजीत कुमार भी आह्लादित है.

रोहतास के बादीलडीह के रहने वाले ज्योति प्रकाश निराला दो साल पहले जम्मू-कश्मीर में छह आतंकियों को मार कर खुद शहीद हो गए थे. मरणोपरांत राष्ट्रपति ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया था. शहीद ज्योति प्रकाश भाइ में अकेला थे तथा तीन बहनें हैं. जिनमें जब शशिकला की शादी हुई तो शहीद जवान के 20 से अधिक गरुड़ कमांडो जो उनके मित्र थे, शादी में पहुंचकर भाई का फर्ज अदा किया.

शादी का बहुत सारा खर्च भी उठाया. साथ ही शहीद के बहन की ऐसी विदाई दी, जो आसपास के इलाके के लिए मिसाल बन गए. शहीद के पिता को इस पर गर्व है. कि उसका बेटा आज उसके पास नहीं है, फिर भी उसके बेटे के दोस्तों ने भाई का फर्ज अदा कर उन्हें संतोष प्रदान किया है. दुल्हन शशिकला की छोटी बहन सुनीता बिहार पुलिस में दारोगा है वह भी काफी खुश हैं. 

शहीद ज्योति की बहन की शादी डेहरी के पाली रोड में सुजीत के साथ हुई है. इस शादी समारोह ने सबको गौरव महसूस करने पर मजबूर किया है. लोग चर्चा करते हैं कि देखो शहीद के बहन की डोली कुछ ऐसे विदा होती है कि पूरा गांव जवार गौरवान्वित हो जाता है.