नवादा : बिहार के 'कश्मीर' के रूप में विख्यात ककोलत जलप्रपात जहां लगभग  160 फ़ीट की ऊंचाई से गिरते झरने की खूबसूरती यहां आनेवाले पर्यटकों का मन मोह लेती है लेकिन नए साल के जश्न में यहां आकर शामिल होने की चाह रखने वालों की चाहत पर इस बार भी ग्राहण लग गया है. दरअसल कोरोना के समय तो यहां पूर्णतः पाबंदी लगी रही. हालांकि इस बार यहां प्रतिबंध की वजह कुछ और है. 


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चट्टानों के गिरने के अंदेशे ने न्यू ईयर सेलिब्रेशन का यहां मजा किया किरकिरा
इस बार पहली जनवरी को पर्यटक ककोलत में पिकनिक का लुत्फ नहीं ले सकेंगे. जलप्रपात तक पहुंचने वाली सीढियां कई जगहों पर क्षतिग्रस्त है. सीढ़ियों पर बड़े बड़े चट्टान गिरे हुए हैं. आशंका है कि अभी भी पहाड़ टूट कर गिर सकते हैं. फलस्वरूप ककोलत में प्रवेश पर लगी पाबंदी को अगले तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. ऐसे में ककोलत में नए साल के जश्न पर रोक रहेगी. जिससे लोग निराश हैं. गौरतलब है कि हरेक साल ककोलत में पिकनिक मनाने के लिए लोगों की काफी भीड़ जुटती थी.। आसपास के लोगों के अलावा दूरदराज के लोग भी पिकनिक मनाने यहां पहुंचते थे. प्रकृति की मनोरम वादियों में लोग नए साल के आगमन का आनंद लेते थे. 


बरसात के महीने में लगी थी पाबंदी
बता दें कि बरसात के महीने में ककोलत जलप्रपात का जलप्रवाह तेज हो गया था. बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. पर्यटकों की जानमाल की सुरक्षा को देखते हुए ककोलत में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी. बैरियर लगा दिया गया था,


डीएफओ ने ककोलत का लिया जायजा
इस सब के बीच डीएफओ संजीव रंजन ने ककोलत का जायजा लिया, उन्होंने पूरे हालात की जानकारी ली. डीएफओ ने बताया कि अभी भी सीढ़ियों पर कई स्थानों पर पहाड़ टूट कर गिरे हुए हैं. अभी भी पहाड़ टूटने का खतरा बना हुआ है. इस परिस्थिति में सरकार के निर्देश पर बैरियर लगाया गया है. पुलिस बल की भी तैनाती की गई है. 


पर्यटक हो रहे निराश
इधर, बैरियर के कारण ककोलत जाने वाले पर्यटकों में निराशा दिख रही है.पर्यटकों का कहना है कि यहां जल्द सफाई व सुरक्षा व्यवस्था करके अब बैरियर हटा देना चाहिए. ताकि लोग इस मनोरम दृश्य का आनंद ले सकें. 
(Report- Yeswent Sinha)


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