AIDS In Bihar: बिहार के गोपालगंज, बेतिया और अरवल जिले में एड्स ने लोगों को जकड़ना शुरू कर दिया है. इन तीन जिलों में हजारों लोगों में एड्स की पुष्टि की गई है. मुख्य रूप से ड्राइवरों, किन्नरों और इनके संपर्क में रहने वाले बच्चों में भी एड्स की पुष्टि की गई है. बिहार जैसे राज्य में एड्स के इतने मरीजों का मिलना चिंताजनक है. भारत में सबसे पहले 1986 में एचआईवी संक्रमण का पहला मामला सामने आया था. आइए, जानते हैं एड्स बीमारी और इसके कारण बनने वाले वायरस की कब खोज की गई थी और दुनिया भर में सबसे ज्यादा यह बीमारी कहां फैली हुई है. 


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एड्स एचआईवी वायरस से फैलता है. एचआईवी का फुलफॉर्म ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (HIV) है. वहीं एड्स का फुलफॉर्म एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) होता है. एचआईवी की पहचान 1959 में बेल्जियम के कांगो में लिए गए खून के नमूने में की गई थी. 1981 में एड्स को एक नई बीमारी के रूप में पहचान मिली थी. 1986 में एड्स का कारण बनने वाले वायरस को आधिकारिक रूप से एचआईवी नाम दिया गया था. इस वायरस की पहचान करने वाले फ्रांसीसी वैज्ञानिक ल्यूक मॉन्टैग्नियर को 2008 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानिक किया गया था. 


बताया जाता है कि एक सदी पहले दक्षिण पूर्वी कैमरून में एड्स सबसे पहले चिंपांजी में फैला था. चिंपांजी से यह बीमारी बंदरों में और उसके बाद मनुष्यों में फैलती चली गई. चिंपांजी में SIVcpz के क्रॉस होने से एचआईवी 1 वायरस पैदा हुआ और यही मनुष्यों में एड्स का सबसे बड़ा कारण बना. एचआईवी दो तरह के होते हैं: एचआईवी 1 और एचआई 2. 


1981 में युवाओं में समलैंगिकता को बढ़ावा मिलना शुरू हुआ और उससे संक्रमण के कारण दुर्लभ और दुर्दांत बीमारियां फैलीं. जैसे: सीडीसी और ग्रीन. ये सब वायरस बाद में एचआईवी के रूप में पहचाने गए. एचआईवी मानव इतिहास के सबसे विनाशकारी वायरस में से है. यह यौन, त्वचा और प्रसव वाले मार्गों से फैलता है. असुरक्षित यौन संबंध एचआईवी के प्रसार के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं. 


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एक अध्ययन के अनुसार, एचआईवी ने अब तक दुनिया भर में कम से कम 60 मिलियन लोगों को संक्रमित किया है और 25 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत इस वायरस से हो चुकी है. सबसे ज्यादा विकासशील देशों में एचआईवी का प्रसार होता दिखा है. एचआईवी का सबसे अधिक प्रसार अफ्रीकी युवाओं में हुआ है. एंट्री रेट्रोवायरल इलाज ने एड्स से होने वाली मौतों में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन एड्स आने वाले कई दशकों तक मानव समाज के लिए खतरा पैदा करता रहेगा.


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