KK Pathak News: केके पाठक जाने से पहले वह राजभवन से आर-पार के मूड में हैं. शिक्षा विभाग की ओर से आज (9 मार्च) को एक बार फिर से सभी कुलपतियों, कुल सचिवों और परीक्षा नियंत्रकों को मीटिंग बुलाई गई है.
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KK Pathak News: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की बहुत जल्द विदाई होने वाली है. वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी अधिकारी माने जाते हैं. कहा जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिस विभाग को ठीक करना होता है, उसकी जिम्मेदारी वह केके पाठक को सौंप देते हैं. हालांकि, अब सरकार ने पाठक को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तौर पर दिल्ली जाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) भी जारी कर दिया है. पाठक अपने कड़े तेवरों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. जाने से पहले वह राजभवन से आर-पार के मूड में हैं. शिक्षा विभाग की ओर से आज (9 मार्च) को एक बार फिर से सभी कुलपतियों, कुल सचिवों और परीक्षा नियंत्रकों को मीटिंग बुलाई गई है.
शिक्षा विभाग के आदेश पर राजभवन से भी एक पत्र जारी कर दिया गया. इसमें राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों को बैठक में शामिल होने के लिए मना किया है. इससे पहले केके पाठक ने 28 फरवरी को सभी विश्वविद्यालयों कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक की बैठक बुलाई थी. शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट लिखा था कि विश्वविद्यालयों में समय से परीक्षा कराने और नियमित सत्र संचालन की जवाबदेही राज्य सरकार की है. विश्वविद्यालयों में परीक्षा कैलेंडर बनाने में राज्य सरकार सक्षम है. राजभवन ने केके पाठक के फैसले पर एतराज जताया था.
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बात तब और बिगड़ गई, जब शिक्षा विभाग की ओर से बैठक में नहीं पहुंचे लोगों के वेतन कटौती का आदेश जारी कर दिया गया था. बैंक खातों को सीज कर दिया गया और बैठक में नहीं पहुंचने वाले पर FIR पर दी गई. खातों सीज होने से विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों और अधिकारियों की सैलरी तक लटक गई है. वहीं राजभवन ने बैंक खातों को ऑपरेटिव बनाने का आदेश दिया, पर पटना यूनिवर्सिटी को छोड़ बाकी जगहों पर खातों से निकासी ठप है. राज्यपाल ने इस बाबत मुख्य सचिव से भी बात की है.
अब नीतीश के खास मंत्री कराएंगे सुलह!
अब नीतीश सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने बताया कि राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के खातों से लेनदेन पर रोक लगाने संबंधी फैसले को स्थगित कर दिया गया है. माना जा रहा है कि मंत्री का यह कदम शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच पैदा हुई खाई को कम कर सकता है.