Gumla Water Problem: गुमला में भीषण गर्मी से लोगों को हो रही है परेशानी, पानी के लिए मचा हाहाकार
Gumla Water Problem: इन दिनों क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है. पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. बढ़ती गर्मी के साथ जलस्तर नीचे जाना शुरू हो गया है. पेयजल की समस्या बढ़ने लगी है. इसके बावजूद जिले में जल नल योजना का लाभ अब तक लोगों को नहीं मिल रहा है.
गुमला: Gumla Water Problem: इन दिनों क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है. पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. बढ़ती गर्मी के साथ जलस्तर नीचे जाना शुरू हो गया है. पेयजल की समस्या बढ़ने लगी है. इसके बावजूद जिले में जल नल योजना का लाभ अब तक लोगों को नहीं मिल रहा है. प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र में निवास करने वाले आदिम जनजाति बहुल गांव के लोगों को खासा परेशानी झेलनी पड़ रही है. लोग चुवा व दाढ़ी का दूषित पानी पीने के विवश है. ग्रामीण क्षेत्र में 14 फाइनेंस योजना से बने जलमीनार देखरेख के अभाव में 70% खराब होकर बेकार पड़े है. जिससे लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. इसके चलते पीने के पानी की समस्या होने लगी. कुछ दिनों से लगातार तापमान बढ़ने से नदी तालाब भी सूखने लगे हैं. इस भीषण गर्मी में केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल से जल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. विभाग के कर्मियों ठेकेदारों की लापरवाही का नतीजा इस भीषण गर्मी में लोगों को झेलना पड़ रहा है.
इस भीषण गर्मी में आदिम जनजाति बहुल कोटिया पाठ के ग्रामीणों को 1 किलोमीटर दूर से झरने का पानी लाकर अपनी प्यास बुझाने पड़ता है. इस गांव के 27 परिवार के लगभग 125 की आबादी भीषण जल संकट से जूझ रही है. महिलाएं सुबह होते ही सिर पर बड़े-बड़े बर्तन लेकर 1 किलोमीटर दूर पानी की तलाश में निकल जाते हैं. 1 किलोमीटर दूर से सिर पर बड़े-बड़े बर्तन को ढोकर अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी लेकर आते हैं. गांव में पीएचडी विभाग से बने जल मीनार पिछले दो वर्षों से खराब होकर बेकार पड़ा हुआ है. गांव की मुन्नी देवी का कहना है कि दिन भर में पानी लाने के लिए कई बार 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. हमारी लाचारी और मजबूरी किसी को नजर नहीं आती. गांव में पानी की घोर समस्या है. हम पठारी क्षेत्र में रहने वाले गरीब लोग सिर्फ मूलभूत समस्याओं से निजात की मांग करते हैं. मगर हमारे नसीब में दुख झेलना ही लिखा हुआ है।
वहीं जनावल पंचायत के गढ़ापाठ गांव में भी पेयजल की घोर समस्या है. गांव के लोग इस भीषण गर्मी में चूवा व दाढ़ी का दूषित पानी पीकर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. इस गांव में विलुप्त हो रही आदिम जनजाति के 30 घरों में 160 की आबादी निवास करती है. इन लोगों को स्वच्छ पानी पीना भी नसीब में नहीं है. खेत में खोदे दाढ़ी का पानी ही उनके प्यास बुझाने में काम आता है. गांव के सुनील असुर, बिफै असुर सहित कई लोगों का कहना है कि गांव में मूलभूत समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं है. चुनाव के समय हम वोट तो देते हैं. मगर इसका लाभ हमें अब तक नहीं मिला.
दूसरी ओर हो रही पानी की बर्बादी
वहीं दूसरी शहर में कई जगह पानी बर्बाद हो रहा है. सड़कों पर जल का जमाव देखा जा रहा है. जिससे लोगों को आवागमन में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. यह नजारा काफी लंबे समय से देखा जा रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि जगह-जगह जमीन के अंदर पाइप लीक है. जिससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी सड़क पर बर्बाद हो रहा है. विभाग को इसकी मौखिक सूचना भी दी गई है. लेकिन विभाग की ओर से अब तक इस दिशा में किसी प्रकार की पहल नहीं की गई है.
शहर के मेन रोड, मधुबाला गली, महावीर चौक पर प्रतिदिन सुबह और शाम पानी सप्लाई के समय सड़कों पर पानी बहते देखा जा सकता है. बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही महावीर चौक के समीप शहरवासियों के आंदोलन के बाद लीकेज पाइप को ठीक किया गया है. लोगों को नाली का गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा था. काफी लंबे समय के बाद इस व्यवस्था को ठीक किया गया था. लोगों ने बताया कि सड़क पर जल जमा होने से पैदल चल रहे लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वहीं मधुबाला गली में गंदगी और जलजमाव होने से सड़क में चलना मुश्किल हो जाता है. लोगों ने बताया कि काफी लंबे समय से यह समस्या लोगों के बीच बनी हुई है. लेकिन विभाग का इस ओर ध्यान ही नहीं है. जानकारी देने के बावजूद विभाग के अधिकारी इस दिशा में कोई पहल नहीं करते हैं.
इनपुट- रणधीर निधि
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