Supaul News: बिहार के सुपौल जिले के सुखपुर में 13.35 करोड़ की लागत से बने जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर सह छात्रावास की हालत खस्ता हो चुकी है. यहां छात्राओं को ना तो पीने के लिए शुद्ध पेयजल मिलता है. ना तो उनके कमरों में पंखों की व्यवस्था है. महज एक साल में ही होस्टल की छत से भी पानी टपकने लगा है. बता दें कि छात्रावास को चालू हुए अभी महज 1 साल ही पूरा हुआ है और छत से रिसाव होने लगा है. ये दिखाता है कि इस हॉस्टल के बनने में किस कदर की लूट-खसोट की गई थी. वहीं इस पर सिविल सर्जन ने पूरा ठीकरा राज्य के स्वास्थ्य विभाग पर फोड़ा है.


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19 जुलाई 2022 को चालू हुए इस ट्रेनिंग सेंटर में फिलहाल 2 बैच की कुल 113 छात्राएं रहती हैं. छात्राओं का कहना है कि उन्हें यहां शुद्ध पेयजल तक नहीं मिलता है. मजबूरी में उन्हें पानी खरीद कर पीना पड़ता है. वहीं गंदे पानी से नहाने के कारण छात्राएं चर्म रोग का शिकार हो रही हैं. इसके अलावा छात्रावास के मेस में पंखे तक की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा भीषण गर्मी में उनका खाना खाना भी बमुश्किल ही हो पाता है. छात्राओं का कहना है कि उन्होंने डीएम तक से इसकी शिकायत की, लेकिन 3 महीने बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. 


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छात्राओं के हिसाब से उन्हें रोजाना प्रैक्टिकल प्रशिक्षण के लिए करीब 8 किलोमीटर दूर सुपौल सदर अस्पताल जाना होता है. उन्हें ऑटो में ठुंसकर वहां जाना पड़ता है. हां, इतना जरूर है कि सदर अस्पताल तक आने-जाने का किराया इन्हें नहीं भरना होता है. यह खर्च विभाग उठा लेती है. वही सिविल सर्जन डॉ मिहिर कुमार वर्मा ने कहा कि पानी की समस्या हमारे संज्ञान में है. आईरन रिमूवल प्लांट के लिए निर्देश दिया गया है. संसाधन के मद्देनजर कहा कि इसके लिए राज्य स्तर पर आवंटन नहीं होने की वजह से समस्या है. फिलहाल जिला अधिकारी के संज्ञान में मामला है. जल्द ही सुविधाएं मुहैया करवाएंगे जाएंगे.


रिपोर्ट- मोहन प्रकाश