बिहार में 'चमकी' बुखार को लेकर SC में सुनवाई कल, केंद्र और बिहार सरकार देगी जवाब
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बिहार में 'चमकी' बुखार को लेकर SC में सुनवाई कल, केंद्र और बिहार सरकार देगी जवाब

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. 

सुप्रीम कोर्ट में कल चमकी बुखार पर सुनवाई होगी. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः बिहार में इंसेफ़्लाइटिस यानि 'चमकी' बुखार से बच्चों की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. 

दरअसल, याचिका में बिहार सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की एक मेडिकल बोर्ड गठित कर उसे तत्काल बिहार के मुजफ्फरपुर व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भेजने का निर्देश देने की मांग की थी. इसके अलावा केंद्र और बिहार सरकार को 500 आइसीयू ऐसे 100 मोबाइल आइसीयू भेजने का निर्देश देने को भी कहा गया था जो कि विशेषज्ञों से लैस हों जिससे दूर दराज के इलाकों में प्रभावितों को इलाज मुहैया कराया जा सके.

सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के जवाब में बिहार सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि मौसम में बदलाव और राज्य सरकार के प्रयास से बीमारी में काफी कमी आई है.राज्य सरकार बीमारी की वजह ढूंढने और दूरगामी समाधान करने में लगी है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मसले को गंभीरता के साथ देख रहे हैं.

हालांकि, बिहार सरकार ने माना था कि राज्य स्वास्थ्य विभाग में लोगों की बहुत कमी है. हलफनामे के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में 47% डॉक्टरों की कमी है, नर्स के 71%, लैब टेक्नीशियन के 62% और फार्मासिस्ट के 48% पद खाली हैं.राज्य सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए गंभीर कोशिश की बात कही है. उधर, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था.केंद्र सरकार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है, हालांकि केंद्र सरकार ने AES सिंड्रोम से निपटने के लिए राज्य सरकार को सहयोग दिया.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री SKMCH हॉस्पिटल का दौरा किया है, वो स्थिति पर नजर बनाए रख रहे है. नेशनल हेल्थ मिशन के फण्ड से राज्य सरकार SKMCH में एक बच्चो के लिए 100 बेड वाला आईसीयू शुरू करेगी. निकटवर्ती जिलों में 10 बेड वाले बच्चों के लिए ICU स्थापित किये जायेंगे.इसके लिए भी रकम नेशनल हेल्थ मिशन के फण्ड से दी जाएगी. राज्य के विभिन्न जिलों में 5 वायरोलॉजी लैब स्थापित की जाएगी. इसके लिए भी रकम नेशनल हेल्थ मिशन के फण्ड से आएगा.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मुजफ्फरपुर में खासतौर से AES सिंड्रोम के फैलने के कारणों का पतालगाने के लिए हाई क्वालिटी रिसर्च टीम का गठन किया है.मुजफ्फरपुर जिले में स्वास्थ्य केंद्रों में सभी खाली पदों को राज्य सरकार द्वारा जल्द भरा जाएगा. 

आपको बता दें कि, मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मौत के दौरान वकील मनोहर प्रताप और शिवकुमार त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका कर बिहार सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार को विशेषज्ञों की एक मेडिकल बोर्ड गठित कर उसे तत्काल बिहार के मुजफ्फरपुर व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भेजने का निर्देश देने की मांग की थी. इसके अलावा केंद्र और बिहार सरकार को 500 आइसीयू ऐसे 100 मोबाइल आइसीयू भेजने का निर्देश देने को भी कहा गया था जो कि विशेषज्ञों से लैस हों जिससे दूर दराज के इलाकों में प्रभावितों को इलाज मुहैया कराया जा सके. साथ ही बिहार सरकार को विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रख एक आदेश जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई है. जिसमें प्रभावित क्षेत्रों के निजी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करने को कहा जाए.

याचिका में सिर्फ बिहार और केंद्र सरकार के लिए ही निर्देश नहीं मांगे गए थे बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस रोग को रोकने और इससे निपटने के पर्याप्त इंतजाम करने का आदेश देने की मांग की गई है.याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकारों को निर्देश दिया जाए कि वह इस बीमारी से बचाव और जागरूकता के लिए पर्याप्त प्रचार करें.इसके अलावा जिनके बच्चों की इस बीमारी से मौत हुई है, उनके परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की गई थी.