आरजेडी का उसूल है, परिवार और बिना आर्थिक दक्षिणा के यहां पद नहीं मिलता. अब नौबत ये है कि एक सीट के लिए कांग्रेस को तेजस्वी यादव को उनका वादा याद दिलाना पड़ रहा है.
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पटना: राज्यसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के संबंधों में खटास आ गई है. 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव में बिहार से पांच सीटें हैं. बिहार विधानसभा के गणित के मुताबिक इनमें से तीन सीटों पर जेडीयू-बीजेपी गठबंधन और दो पर आरजेडी की जीत तय है.
अब मामला महागठबंधन के दो बड़े घटक दलों के बीच सामंजस्य पर आ कर टिक गया है. दरअसल, कांग्रेस चाहती है कि आरजेडी अपनी एक सीट कांग्रेस के लिए छोड़े लेकिन इसके लिए आरजेडी तैयार नहीं है. यही वजह है कि बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने आरजेडी के नाम खुली चिट्ठी जारी करते हुए राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस को देने का 'वादा' याद दिलाया है.
इस पर विरोधी दल ने चुटकी लेनी शुरू कर दी है. जेडीयू मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि कांग्रेस को लालू प्रसाद की चाकरी चाहिए या उसूल, यह कांग्रेस को तय करना होगा. आरजेडी का उसूल है, परिवार और बिना आर्थिक दक्षिणा के यहां पद नहीं मिलता. अब नौबत ये है कि एक सीट के लिए कांग्रेस को तेजस्वी यादव को उनका वादा याद दिलाना पड़ रहा है.
जेडीयू मंत्री ने कहा कि शक्ति सिंह गोहिल को याद रखना चाहिए कि 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की उदारता पर ही कांग्रेस को 40 सीटें मिली थी. इसके अलावा जेडीयू के ही एक और मंत्री अशोक चौधरी ने भी सियासी हमला करते हुए कहा कि आरजेडी की भावना कभी कांग्रेस को गठबंधन के रूप में दिखती ही नहीं है. हमेशा कांग्रेस को हीन भावना से देखती है आरजेडी.
जेडीयू नेता ने कहा कि अपने आप को सशक्त और मजबूत करने के लिए आरजेडी कांग्रेस का सिर्फ यूज करती है. कांग्रेस आलाकमान बेबस और लाचार हो गया है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकती है. कमोबेश यहीं हाल विधानसभा में भी दिखेगा.
उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि लालू यादव कांग्रेस के प्रति अच्छी भावना नहीं रखते हैं. इसका जवाब देते हुए आरजेडी नेता सुबोध राय ने कहा कि आरजेडी का यहीं चरित्र नहीं है. जो ऐसा कह रहे हैं उन्हें पता नहीं कि कांग्रसी नेता अखिलेश सिंह को आरजेडी ने ही राज्यसभा भेजा है. फिलहाल आरजेडी के पास राज्यसभा की दो सीटें हैं.
राज्यसभा में हमारी सीट कम है और जबकि दोनों सीट हमारा है तो हम चाहते हैं कि किसी और को सीट ना दे दिया जाए. आरजेडी भी तो राज्यसभा में कांग्रेस को ही सपोर्ट करती है. इन तमाम बातों का कोई मतलब नहीं है.
खैर, आरजेडी चाहे जितना भी किनारा कर ले, लेकिन सच्चाई तो यहीं है कि कांग्रेस को बिहार में अपने इशारों पर कई बार नचाती आई है. फिर चाहे वह दबाव बना कर सीट बंटवारे में कांग्रेस के मन को मारना हो या फिर राज्यसभा सीट में हिस्सेदारी.